राज्यपाल ने पुस्तक ‘माई स्टिंट विद श्री राम नाईक’ का विमोचन किया
लखनऊ: 23 जुलाई, 2019 उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन में परिसहाय मेजर जगमीत सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘माई स्टिंट विद श्री राम नाईक’ का विमोचन किया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर श्रीमती कुंदा नाईक, राज्यपाल की पुत्री विशाखा कुलकर्णी, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री हेमन्त राव, विशेष सचिव श्री अशोक चन्द्र, मेजर जगमीत सिंह की पत्नी फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रीमती रमन सिंह तथा राजभवन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। पुस्तक में मेजर जगमीत सिंह ने राज्यपाल के साथ अपने डेढ़ वर्ष की सेवा के अनुभवों को छायाचित्रों सहित संग्रहित किया है।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजभवन में परिसहाय की विशेष भूमिका होती है। मेजर जगमीत सिंह ने अत्यन्त सुन्दर पुस्तक लिखी है, जिसके शब्द और छायाचित्र दोनों बोलते हैं। राजभवन के लोग अपने दायित्व के साथ अन्य रचनात्मक कार्य भी करते रहते हैं। पूर्व के परिसहाय मेजर शरत नांबियार एवं श्री गौरव सिंह ने ‘एडीसी-मैनुअल’ लिखी थी, जो अपने आप में सभी राजभवनों के लिये प्रथम मैनुअल थी। इसी प्रकार राजभवन में कवि के रूप में पुलिस निरीक्षक श्री कुलदीप सिंह तथा अभिनय के क्षेत्र में स्टेज से लेकर फिल्म के पर्दे तक काम करने वाले श्री कमल सिंह यादव की भूमिका भी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि राजभवन में हर प्रकार की प्रतिभा पाई जाती है। श्री नाईक ने कहा कि पुस्तक का विषय वस्तु मैं हूँ पर आज पता चला कि मुझ पर भी कोई करीब से नजर रख रहा है। सेना के अधिकारी सीमा पर शस्त्र चलाने में पारंगत होते हैं पर मेजर जगमीत सिंह कलम से भी मजबूत हैं। उनकी देखने की दृष्टि ‘बहुत सटीक’ है। योग्य समय पर योग्य शब्द और योग्य चित्र का उपयोग किया है। किताब को पढ़कर लगेगा कि वर्दी में एडीसी जितना अपने दायित्व के प्रति समर्पित होता है, हृदय से उतना ही भावपूर्ण होता है। उन्होंने निरन्तर आगे बढ़ते रहने की सलाह देते हुए कहा कि आगे भी अपना लेखन कार्य जारी रखें। उन्होंने सुझाव दिया कि पुस्तक का हिन्दी अनुवाद भी होना चाहिये जिससे हिन्दी भाषी पाठक भी उसको पढ़ सकें।
अपर मुख्य सचिव श्री हेमन्त राव ने बधाई देते हुए कहा कि अक्सर हम लोग अपने सरकारी दायित्वों के दबाव में रहते हुए अन्य रचनात्मक कार्य नहीं कर पाते, परन्तु मेजर जगमीत ने अपने प्रारम्भ के सेवाकाल में एक अच्छी पुस्तक का लेखन किया। मेजर जगमीत ने अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर पुस्तक लिखी है। पुस्तक में राज्यपाल के व्यवहार, उनका व्यक्तित्व और कृतित्व उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि मेजर जगमीत ने पुस्तक में अपने छोटे-छोटे अनुभव को भी बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन अपर विधि परामर्शी श्री कामेश शुक्ल ने किया।
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