सार्वजनिक ऋण प्रबंधन पर त्रैमासिक रिपोर्ट – चौथी तिमाही वित्त वर्ष 2018-19 (जनवरी से मार्च 2019)

अप्रैल-जून (पहली तिमाही) 2010-11 सेवित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के बजट प्रभाग का सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी) (पहले मिडल ऑफिस) नियमित रूप से ऋण प्रबंधन पर एक त्रैमासिक रिपोर्ट प्रकाशित करता रहा है। वर्तमान रिपोर्ट जनवरी - मार्च तिमाही 2019 (चौथी तिमाही वित्त वर्ष 2019) से संबंधित है।
वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के दौरानकेंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में रूपये 67,000 करोड़ की तुलना में रुपये 1,56,000 करोड़ की दिनांकित प्रतिभूतियाँ जारी कीं। नए निर्गम जारी करने की भारित औसत परिपक्वता (डब्ल्यूएएमवित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में 14.18 साल (वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में 14.70 साल) रही। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में 7.82 प्रतिशत की तुलना में इसी तिमाही के लिए जारी औसत लब्धि (डब्ल्यूएवाई) 7.47 प्रतिशत था। तिमाही के दौरान ₹ 60,000 करोड़ के बराबर के नकदी प्रबंधन बिलों के निर्गम के माध्यम से अस्थायी नकदी प्रवाह के अंतर को पाटा गया। एमएसएफ सहित तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफके तहत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुद्ध औसत तरलता अंतःक्षेपण रूपये 52,364 करोड़ था।
सरकार की कुल देनदारियां (सार्वजनिक खाते के तहत देनदारियों सहित) दिसंबर 2018 के अंत के 83,40,027 करोड़ से बढ़कर मार्च 2019 की समाप्ति तक 84,68,086 करोड़ हो गई। मार्च 2019 की समाप्ति तक कुल बकाया देनदारियों का 89%सार्वजनिक ऋण था। बकाया दिनांकित प्रतिभूतियों में से लगभग 28.27 प्रतिशत में 5 वर्ष से कम की अवशिष्ट परिपक्वता थी। धारण रूझान से दिसंबर 2018 के आखिर तक वाणिज्यिक बैंकों के लिए 40.5 प्रतिशत और बीमा कंपनियों के लिए24.6 प्रतिशत के हिस्से का संकेत मिलता है।
10-वर्षीय बेंचमार्क जी-सेक (7.26% जीएस 2029) पर लब्धि 29 मार्च, 2018 को 7.35 प्रतिशत पर बंद हुई। केंद्रीय सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियां वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के दौरान मूल्य के लिहाज से कुल संपूर्ण व्यापारिक मात्रा में 83प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ द्वितीयक बाजार में कुल व्यापारिक वॉल्यूम का बड़ा हिस्सा बना रहा।

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