उ0प्र0 यवासवनी (छठवां संशोधन) नियमावली-2019 प्रख्यापित किए जाने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में लघु यवासवनी (माइक्रो ब्रिवरी) की स्थापना हेतु वर्तमान में प्रचलित उत्तर प्रदेश यवासवनी नियमावली, 1961 में माइक्रो ब्रिवरी से सम्बन्धित नियम सम्मिलित करते हुए उत्तर प्रदेश यवासवनी (छठवां संशोधन) नियमावली-2019 प्रख्यापित किए जाने का निर्णय लिया है।
निर्णय के अनुसार यवासवनी (ब्रिवरी) स्थापना हेतु अनुज्ञापन प्रदान करने के लिए वर्ष 1974 से निर्धारित लाइसेंस फीस 25,000 रुपए से बढ़ाकर 2,50,000 रुपए की गयी है। साथ ही, लाइसेंस के नवीनीकरण फीस में भी वृद्धि की गयी है। यवासवनियों द्वारा बीयर के थोक विक्रय के अनुज्ञापियों से प्राप्त इन्डेन्ट में सन्निहित प्रतिफल शुल्क और अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क की धनराशि को 02 कार्यदिवस में राजकोष में जमा न करने पर 5,000 रुपए प्रतिदिन की दर से जुर्माना आरोपित किया जाएगा।
लघु यवासवनी (माइक्रो ब्रिवरी) की स्थापना हेतु कोई व्यक्ति जो होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेन्ट एवं वाणिज्यिक क्लब हेतु बार लाइसेंसधारी हो, सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी के माध्यम से आबकारी आयुक्त को आवेदन करेगा। अनुज्ञापनधारी द्वारा समस्त शर्तें पूरी करने पर जिलाधिकारी द्वारा की गयी संस्तुति के आधार पर आबकारी आयुक्त शासन की पूर्वानुमति से लघु यवासवनी हेतु अनुज्ञापन स्वीकृत करेंगे।
लघु यवासवनी हेतु आवेदन पत्र के साथ 50,000 रुपए की धनराशि देय होगी। लघु यवासवनी हेतु अनुज्ञापन शुल्क 2,00,000 रुपए प्रति वर्ष होगा। इसके अतिरिक्त अनुज्ञापी 1,00,000 रुपए की प्रतिभूति धनराशि भी उपलब्ध कराएगा। लघु यवासवनी का अनुज्ञापन 01 अप्रैल से शुरू होकर आगामी वर्ष के 31 मार्च तक वैध होगा। प्रत्येक आबकारी वर्ष हेतु अनुज्ञापन के नवीनीकरण के लिए 2,00,000 रुपए देय होगा। अनुज्ञापन की शर्तों का अनुपालन करने में विफल होने पर अनुज्ञापन बिना किसी क्षति की भरपाई किए ही निरस्त कर दिया जाएगा। अनुज्ञापनधारी, 25,000 रुपए की फीस जमा करके अनुज्ञापन की वैधता 06 माह हेतु बढ़वा सकता है। लघु यवासवनी की अधिष्ठापित क्षमता प्रतिदिन 600 ब0ली0 और वर्ष में 350 कार्य दिवस के आधार पर 2.1 लाख ब0ली0 से अधिक नहीं होगी।
वर्तमान में प्रदेश में नोएडा, आगरा, वाराणसी व लखनऊ आदि शहरों में देशी/विदेशी पर्यटकों का आवागमन काफी बढ़ा है। प्रदेश में लघु यवासवनी स्थापित होने पर जहां अच्छी गुणवत्ता की फ्रेश बीयर उपभोक्ताओं को रेस्टोरेन्ट में उपलब्ध होगी, वहीं दूसरी तरफ रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे एवं प्रदेश के राजस्व में भी सम्यक रूप से वृद्धि होगी। भारत के अन्य राज्यों यथा-महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, हरियाणा, दिल्ली, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश आदि राज्यों के बड़े-बड़े शहरों में स्थित होटलों/रेस्टोरेन्ट में लघु यवासवनी स्थापित हुई हैं।
निर्णय के अनुसार यवासवनी (ब्रिवरी) स्थापना हेतु अनुज्ञापन प्रदान करने के लिए वर्ष 1974 से निर्धारित लाइसेंस फीस 25,000 रुपए से बढ़ाकर 2,50,000 रुपए की गयी है। साथ ही, लाइसेंस के नवीनीकरण फीस में भी वृद्धि की गयी है। यवासवनियों द्वारा बीयर के थोक विक्रय के अनुज्ञापियों से प्राप्त इन्डेन्ट में सन्निहित प्रतिफल शुल्क और अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क की धनराशि को 02 कार्यदिवस में राजकोष में जमा न करने पर 5,000 रुपए प्रतिदिन की दर से जुर्माना आरोपित किया जाएगा।
लघु यवासवनी (माइक्रो ब्रिवरी) की स्थापना हेतु कोई व्यक्ति जो होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेन्ट एवं वाणिज्यिक क्लब हेतु बार लाइसेंसधारी हो, सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी के माध्यम से आबकारी आयुक्त को आवेदन करेगा। अनुज्ञापनधारी द्वारा समस्त शर्तें पूरी करने पर जिलाधिकारी द्वारा की गयी संस्तुति के आधार पर आबकारी आयुक्त शासन की पूर्वानुमति से लघु यवासवनी हेतु अनुज्ञापन स्वीकृत करेंगे।
लघु यवासवनी हेतु आवेदन पत्र के साथ 50,000 रुपए की धनराशि देय होगी। लघु यवासवनी हेतु अनुज्ञापन शुल्क 2,00,000 रुपए प्रति वर्ष होगा। इसके अतिरिक्त अनुज्ञापी 1,00,000 रुपए की प्रतिभूति धनराशि भी उपलब्ध कराएगा। लघु यवासवनी का अनुज्ञापन 01 अप्रैल से शुरू होकर आगामी वर्ष के 31 मार्च तक वैध होगा। प्रत्येक आबकारी वर्ष हेतु अनुज्ञापन के नवीनीकरण के लिए 2,00,000 रुपए देय होगा। अनुज्ञापन की शर्तों का अनुपालन करने में विफल होने पर अनुज्ञापन बिना किसी क्षति की भरपाई किए ही निरस्त कर दिया जाएगा। अनुज्ञापनधारी, 25,000 रुपए की फीस जमा करके अनुज्ञापन की वैधता 06 माह हेतु बढ़वा सकता है। लघु यवासवनी की अधिष्ठापित क्षमता प्रतिदिन 600 ब0ली0 और वर्ष में 350 कार्य दिवस के आधार पर 2.1 लाख ब0ली0 से अधिक नहीं होगी।
वर्तमान में प्रदेश में नोएडा, आगरा, वाराणसी व लखनऊ आदि शहरों में देशी/विदेशी पर्यटकों का आवागमन काफी बढ़ा है। प्रदेश में लघु यवासवनी स्थापित होने पर जहां अच्छी गुणवत्ता की फ्रेश बीयर उपभोक्ताओं को रेस्टोरेन्ट में उपलब्ध होगी, वहीं दूसरी तरफ रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे एवं प्रदेश के राजस्व में भी सम्यक रूप से वृद्धि होगी। भारत के अन्य राज्यों यथा-महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, हरियाणा, दिल्ली, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश आदि राज्यों के बड़े-बड़े शहरों में स्थित होटलों/रेस्टोरेन्ट में लघु यवासवनी स्थापित हुई हैं।
Comments