राज्यपाल ने स्मृृतिका जाकर कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी..

श्री नाईक ने कहा कि कारगिल युद्ध को 19 वर्ष बीत गये हैं। सैनिकों के पराक्रम से देश को विजय मिली है। अनेक सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया, तब हमें जीत मिली है। ऐसे शूरवीरों को श्रद्धांजलि देना हर व्यक्ति का दायित्व है। शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों को यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि सरकार के साथ-साथ देश का हर नागरिक उनके साथ है। राज्यपाल ने बताया कि कारगिल में 439 शहीद सैनिकों के परिजनों को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए उनके द्वारा पेट्रोल पम्प अथवा गैस एजेन्सी उनके भरण-पोषण के लिये दिये गये थे। उन्होंने कहा कि उनका यह निर्णय आज भी समाधान देता है कि वे शहीद परिवारों के लिये कुछ कर सके।
राज्यपाल ने कहा कि कारगिल की विजय हमें अनेक सैनिकों की शहादत के बदले में मिली है। हमें अपने शहीदों को सदैव स्मरण करना चाहिए। छत्रपति शिवाजी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि शिवाजी की माता जीजाबाई की इच्छा थी कि कोण्डाना किला छत्रपति शिवाजी के पास होना चाहिए। शिवाजी की सेना के सरदार तानाजी अपने पुत्र के विवाह का निमंत्रण देने आये थे। माता जीजाबाई की इच्छा को जानकर उन्होंने कहा कि पहले कोण्डाना जीतेंगे बाद में शादी होगी। युद्ध में तानाजी शहीद हुए तो शिवाजी ने कोण्डाना किले का नाम सिंहगढ़ रखते हुए कहा कि ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’ अर्थात, ‘गढ़ तो जीत लिया पर सिंह चला गया’। उन्होंने कहा कि देश पर शहीद होने वाला सैनिक हमारे लिये बहुत महत्व रखता है।
श्री नाईक ने स्मृतिका स्थित प्रदेश के तीन परमवीर चक्र विजेता नायक जदुनाथ सिंह, हवलदार अब्दुल हमीद तथा कारगिल शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय के भित्ती चित्रों पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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