पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 ने भीड़ द्वारा कारित हिंसा एवं हत्या किये जाने की घटनाओं के रोकथाम के दिये निर्देश..

ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 ने समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक प्रभारी जनपदों को भीड़ द्वारा कारित हिंसा एवं हत्या किये जाने की घटनाओं की रोकथाम के कड़े निर्देश दिये  हैं।
    भीड़ के द्वारा कारित हिंसा एवं हत्या की घटनाऐं जघन्य अपराध हैं।  मिथ्या अवधारणाओं के आधार पर व्यक्तियों के किसी समूह अथवा भीड़ द्वारा कानून का स्वयं पालन कराये जाने के नाम पर  किसी व्यक्ति के विरूद्ध हिंसात्मक कार्यवाही करना विधि के अन्तर्गत पूर्णतया अक्षम्य एवं दण्डनीय अपराध है। इस प्रकार की प्रत्येक घटना एवं ऐसी किसी भी घटना को उकसाने वाली दुष्प्रवृत्ति को रोकना सभी कानून प्रवर्तन अभिकरणों  का प्रमुख कर्तव्य है।  सर्वोच्च न्यायालय ने रिट पिटिशन (सिविल) सं0 754/2016 तहसीन एस0 पूनावाला बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया एवं अन्य में अपने निर्णय दिनांक 17.07.2018 में भीड़ द्वारा कारित हिंसा/हत्या के रोकथाम एवं ऐसी घटनाओं की विवेचनाओं के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश निर्गत करते हुये उनके प्रभावी अनुपालन कराये जाने हेतु निर्देश दिये हैं। तद्नुक्रम में गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 ने उक्त अनुक्रम में भीड़ द्वारा कारित हिंसा एवं हत्या किये जाने के प्रभावी रोकथाम एवं कार्यवाही के निमित्त निम्न कार्यवाहियाॅ के निर्देश दिये गये हैं  प्रत्येक जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को भीड़ द्वारा कारित हिंसा/हत्या किये जाने की घटनाओं को रोकने हेतु नोडल अधिकारी नामित किया जाता है। नोडल अधिकारी की सहायता के लिये प्रत्येक जनपद में पुलिस उपाधीक्षक स्तर के एक अधिकारी होंगे, जो भीड़ द्वारा कारित हिंसा/हत्या किये जाने की घटनाओं को रोकने के लिये प्रभावी कार्यवाही कराना सुनिश्चित करेंगे।  नोडल अधिकारी द्वारा एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जायेगा, जो ऐसे व्यक्तियों के विषय में आसूचना एकत्र करेगा, जिनके बारे में ऐसी सम्भाव्यता हो कि वे इस प्रकार की घटनाऐं कारित करने वाले हैं अथवा ऐसी घटनाओं को कारित किये जाने हेतु उकसाने वाले भाषण (भ्ंजम ैचममबी) तथा अफवाहों/भ्रामक सूचनाओं के प्रचार-प्रसार में संलिप्त हैं। नोडल अधिकारी द्वारा जनपद में ऐसे गांवों, कस्बो, मजरों व मोहल्लों को चिन्हित कराया जाये, जहां विगत 05 वर्षों में भीड़ के द्वारा हिंसा एवं हत्या किये जाने की घटनाऐं कारित हुई हों, का थानावार एक समान प्रारूप में अभिलेखीकरण किया जाये तथा सम्बन्धित थानाध्यक्ष/प्रभारी निरीक्षक को सजग रहने हेतु निर्देशित किया जाये । सोशल मीडिया प्लेटफार्म के विभिन्न आयामों के द्वारा इस प्रकार की आपत्तिजनक सूचनायें प्रसारित करने तथा ऐसी प्रवृत्तियों को उत्तेजित करने हेतु अन्य साधनों की रोकथाम हेतु आवश्यक कार्यवाही कराना सुनिश्चित करेंगे। नोडल अधिकारी इस प्रकार की घटनाओं में लक्षित (ज्ंतहमजमक) पीड़ित समुदाय अथवा वर्ग के विरूद्ध अमैत्रीपूर्ण वातावरण को समाप्त करने हेतु आवश्यक कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करेंगे। सभी पुलिस अधिकारी द0प्र0सं0 की धारा 129 के अन्तर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करें। इस सम्बन्ध में संगत मजिस्ट्रेटों से प्रभावी समन्वय रखा जाये। विगत में जहां इस तरह की घटनायें हुई हो, वहां प्रभावी पेट्रोलिंग भी की जाये। रेडियो, दूरदर्शन (ब्ंइसम ज्ट), मीडिया के विभिन्न श्रोतों के माध्यम से इस तथ्य का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता अभियान चलाया जाये कि भीड़ के द्वारा कारित हिंसा/हत्या में संलिप्त दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध विधि के अनुसार कठोरतम कार्यवाही की जायेगी।
प्रदेश के सभी कानून प्रवर्तन अभिकरण एवं अभिसूचना विभाग सोशल मीडिया प्लेटफार्म की सतत निगरानी करेंगे तथा प्दवितउंजपवद ज्मबीदवसवहल ।बज एवं अन्य सम्बन्धित कानूनों में वर्णित प्रावधानों के अनुरूप ऐसे अनुत्तरदायी व आपत्तिजनक संदेशों, वीडियो एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उपस्थित ऐसी सामग्रियों के प्रचार-प्रसार को समाप्त तथा रोकने हेतु कार्यवाही करेंगे, जिससे भीड़ द्वारा हिंसा कारित किये जाने/हत्या को उकसाने वाली प्रवृत्ति का दुष्प्रेरण होता हो। वाट्सएप पर अफवाहों को रोकने के लिये थाना स्तर पर डिजिटल वालेन्टियर्स बनाने हेतु डीजीे परिपत्र संख्या 38/2018 दिनांक 13.07.2018 के द्वारा निर्देश निर्गत किये गये हैं। भीड़ के द्वारा हिंसा/हत्या की घटनाओं   तथा इस प्रकार की घटनाओं को दुष्प्रेरित करने वाले अनुत्तरदायी  व  आपत्तिजनक  संदेशों, वीडियो एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उपस्थित ऐसी सामग्रियों को रोकने के लिये भी डिजिटल वालेन्टियर्स का सक्रिय सहयोग अवश्य लिया जाये। ऐसे व्यक्ति, जो भीड़ के द्वारा हिंसा/हत्या को बढ़ावा देने वाले अनुत्तरदायी एवं आपत्तिजनक संदेशों तथा वीडियो को प्रचारित प्रसारित करते हों, के विरूद्ध भा0द0वि0 की धारा 153ए के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत कर आवश्यक कार्यवाही की जाये।
उपरोक्त निरोधात्मक उपायों के अपनाये जाने के बावजूद यदि किसी थानाक्षेत्र के अन्तर्गत भीड़ के द्वारा हिंसा या किसी व्यक्ति की हत्या किये जाने की सूचना प्राप्त होती है तो सम्बन्धित थानाध्यक्ष/प्रभारी निरीक्षक तत्काल बिना किसी विलम्ब के भा0द0वि0 व अन्य सम्बन्धित अधिनियमों की सुसंगत धाराओं के अनुसार प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे तथा सर्वसम्बन्धित कोे अवगत करायेंगे। नोडल अधिकारी द्वारा भीड़ के द्वारा की गयी हिंसा/हत्या से पीड़ित परिवार के सदस्यों को उ0प्र0 पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना-2014 (संशोधन दि0 07.06.2016) के अन्तर्गत अनुमन्य आर्थिक क्षतिपूर्ति आदि दिलाने हेतु नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाये।
नोडल अधिकारी ऐसी घटनाओं से सम्बन्धित अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु नियमानुसार प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे तथा विवेचना का व्यक्तिगत पर्यवेक्षण कर आरोप पत्र निर्धारित समय से मा0 न्यायालय में प्रेषित कराना सुनिश्चित करेंगे। नोडल अधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित किया जाये कि अभियोजन शाखा इन प्रकरणों के विचारण में समुचित भूमिका का निर्वहन करे, ताकि दोषीजनों को शीघ्र सजा सुनिश्चित हो सके।
भीड़ द्वारा हिंसा/हत्या की घटनाओं को रोकने, ऐसे प्रकरणों की विवेचनाओं व मा0 न्यायालय में ऐसे अभियोगों के त्वरित विचारण को सुगम बनाने में यदि किसी  अधिकारी द्वारा उपरोक्त निर्देशों का सम्यक अनुपालन नहीं किया जाता है, तो ऐसे अधिकारी के विरूद्व उसके द्वारा जानबूझकर लापरवाही बरतने के सम्बन्ध में मत अवधारित किया जायेगा। ऐसे अधिकारी के विरूद्व समुचित कार्यवाही की जायेगी। 

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