राज्यपाल ने अपने चतुर्थ वर्ष का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया..

लखनऊ: 22 जुलाई, 2018 उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपने चतुर्थ वर्ष के कार्यकाल के पूर्ण होने पर राजभवन में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में 152 पृष्ठीय कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक 2017-18’ का हिन्दी एवं उर्दू भाषा में लोकार्पण किया।
 राम नाईक ने 22 जुलाई, 2014 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी। राज्यपाल पहले छः माह का कार्यवृत्त, फिर एक वर्ष पूरा होने पर लगातार अपना कार्यवृत्त जारी कर रहे हैं। कार्यवृत्त जारी करने की परम्परा का निर्वहन वे विधायक, सांसद, केन्द्रीय मंत्री और सार्वजनिक जीवन में रहते हुए 1978 से कर रहे हैं। श्री नाईक अपनी उसी परम्परा का निर्वहन जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से राज्यपाल रहते हुए भी करते आ रहे हैं।
चतुर्थ कार्यवृत्त जारी करते हुए राज्यपाल ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने 6,724 नागरिकों से राजभवन में भेंट की तथा 35,977 पत्र उन्हें जनता ने विभिन्न माध्यमों से प्रेषित किए, जिन पर राजभवन द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की गई। चार वर्ष की योग संख्या क्रमशः है 24,968 नागरिक तथा 1,82,536 पत्र। राज्यपाल ने राजभवन में 50 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 191 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर प्रदेश में 109 सार्वजनिक कार्यक्रमों और उत्तर प्रदेश से बाहर 28 सार्वजनिक कार्यक्रमों में सहभाग किया। इसमें चार वर्ष की योग संख्या होती है क्रमशः राजभवन में 165 कार्यक्रम, लखनऊ में 790 कार्यक्रम, लखनऊ से बाहर प्रदेश में 436 कार्यक्रम तथा प्रदेश के बाहर 122 कार्यक्रम।
राज्यपाल को एक वर्ष में उत्तर प्रदेश के बाहर आयोजित कार्यक्रमों में जाने के लिये कुल 73 दिन स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष श्री नाईक विगत वर्ष मात्र 24 दिन ही उत्तर प्रदेश के बाहर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुए, जो 73 दिन का केवल 33 प्रतिशत है। इसी प्रकार राज्यपाल को 20 दिन का वार्षिक अवकाश उपभोग करने की अनुमति है। लेकिन श्री नाईक ने अपने चार वर्ष के कार्यकाल में मात्र दो बार ही अपने वार्षिक अवकाश का उपभोग किया। वे 3 से 12 अक्टूबर, 2015 तक कुल 10 दिन उत्तराखण्ड के नैनीताल और 14 से 22 मई, 2016 तक कुल 9 दिन हिमाचल प्रदेश के शिमला के भ्रमण पर रहे। वर्ष 2017 और 2018 में उन्होंने किसी प्रकार का व्यक्तिगत अवकाश नहीं लिया।
कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल द्वारा 25 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह तथा 8 निजी विश्वविद्यालयों/संस्थाओं के दीक्षान्त समारोह में शिरकत की गई। राज्यपाल जिन संस्थाओं के पदेन अध्यक्ष है उनकी 9 बैठकों की अध्यक्षता भी की गई। राज्यपाल ने कार्यवृत्त की अवधि में 36 पत्र राष्ट्रपति को, 39 पत्र प्रधानमंत्री, 155 पत्र उपराष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों, 450 पत्र मुख्यमंत्री तथा 221 पत्र प्रदेश के मंत्रीगण को प्रेषित किए। चार वर्ष की योग संख्या क्रमशः है 92 पत्र राष्ट्रपति को, 170 पत्र प्रधानमंत्री को, 420 पत्र उपराष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को, 1,294 पत्र मुख्यमंत्री को तथा 429 पत्र प्रदेश के मंत्रीगण को लिखें।
श्री नाईक ने कहा कि ‘भारत का संविधान’ में राज्यपाल पद को बड़ी महत्ता दी गई है। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक मुखिया होने के साथ-साथ केन्द्र एवं राज्य सरकार के बीच सेतु की भूमिका में होते हैं। राज्यपाल जहाँ एक ओर राज्य सरकार की गतिविधियों में नजर रखते हैं तो वहीं दूसरी ओर आवश्यकतानुसार राज्य सरकार की बात को केन्द्र तक सशक्त ढंग से प्रस्तुत करने का भी कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने पद की गरिमा एवं मर्यादा को सर्वोपरि रखकर ही संविधान की मंशा के अनुरूप कार्य किया है। मेरे समक्ष प्रस्तुत विषयों को राज्य के हित एवं आवश्यकता के अनुसार शीघ्र निपटारा किया गया है। 08 फरवरी 2018 को राज्य विधान मण्डल के वर्ष 2018 के प्रथम सत्र के लिए आहूत संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए 38 पृष्ठों का अपना पूरा अभिभाषण पढ़ा। अभिभाषण के समय विधान मण्डप में विपक्षी राजनैतिक दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन तथा व्यवधान डाला गया परन्तु मेरे द्वारा संयमपूर्वक अपना अभिभाषण पूर्ण किया गया। 2007 के बाद यह प्रथम अवसर है जब किसी राज्यपाल ने सदन में अपना पूरा भाषण पढ़ा।
राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार लाना मेरी पहली प्राथमिकता रही है और इसके निमित्त प्रारम्भ से ही समय-समय पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए एवं आवश्यकतानुसार दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इस वर्ष दीक्षान्त समारोहों में कुल 15,60,375 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई जिनमें से 7,97,646 अर्थात् 51 प्रतिशत छात्राओं ने उपाधियां अर्जित की। उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु प्रदत्त कुल 1,653 पदकों में से 1,085 पदक अर्थात् 66 प्रतिशत छात्राओं को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि यह संख्या महिला सशक्तिकरण का सुखद संदेश देती है। उन्होंने बताया कि वर्ष में दो बार कुलपति सम्मेलन के आयोजन के साथ विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करने के लिये एक समिति बनायी गयी। समिति ने 44 बैठकों में विचार-विनिमय करके रिपोर्ट प्रस्तुत किया, जो कार्यवाही हेतु राज्य सरकार को प्रेषित की गई। उन्होंने यह भी बताया कि शैक्षिक सत्र 2018-19 में 26 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह प्रस्तावित हैं, उनके दिनांक भी तय हो गये है, जो 24 अगस्त से 15 नवम्बर, 2018 तक 83 दिनों में पूरे कर लिये जायेंगे।
श्री नाईक के चैथे वर्ष की कार्य अवधि में निम्नलिखित ‘कुछ विशेष’ घटनाएं हुई:- (1) प्रथम उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस समारोह का आयोजन, (2) डाॅ0 आंबेडकर का सही नाम लिखा जाना, (3) लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का अजर-अमर उद्घोष ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ के 101 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित समारोह, (4) मुंबई हवाई अड्डे पर छत्रपति शिवाजी महाराज का सही जन्म वर्ष का अंकन। (5) सरोजिनी नायडू की योग्य प्रतिमा लगाये जाने का निर्णय, (6) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह समिति की राज्य स्तर पर समिति की राज्यपाल की अध्यक्षता में स्थापना, (7) 2019 के ‘कुम्भ’ के समारोह की समिति की राज्यपाल की अध्यक्षता में स्थापना, (8) राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह के अनधिकृत प्रयोग का संज्ञान लेना, (9) चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का आयोजन,     (10) महाराष्ट्र दिवस समारोह का आयोजन, (11) म्यांमार में आयोजित ‘द इंटरफेथ डाॅयलाग फाॅर पीस’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन।
राज्यपाल ने बताया कि चैथे वर्ष में ‘उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस’ समारोह मेरे लिये सबसे ज्यादा समाधान देने वाला कार्यक्रम रहा है। इससे उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान मिली है। इसमें राज्य सरकार ने ‘एक जिला एक उत्पाद’ स्कीम की अवधारणा प्रस्तुत की थी, जिससे उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद की विशेषता सामने आई है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की विशेषता जानने के बाद ‘उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट-2018 में निवेशकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने का निर्णय लिया है।
श्री नाईक ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ से बढ़कर ‘सर्वोत्तम प्रदेश’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के राज्यपाल के नाते मैं भी अपनी भूमिका के साथ वचनबद्ध रहता हूँ। उन्होंने पत्रकारों, विशिष्ट योगदान के लिये पूर्व प्रमुख सचिव सुश्री जूथिका पाटणकर, राजभवन के अधिकारियों और कर्मचारियों को सहयोग के लिये धन्यवाद भी दिया। 

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