खोये हुये बच्चों के बारे में “State Level Conference on Children in Need of Care and Protection in Contact with Railways” विषय पर कार्यशाला का आयोजन..

Care and Protection in Contact with Railways” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों की बरामदगी तथा उनके पुनर्वास एवं संरक्षण से सम्बन्धित विभिन्न एजेंन्सियों के प्रतिनिधि यथा-जीआरपी, आरपीएफ, रेलवे, महिला एवं बालकल्याण मंत्रालय, चाइल्डलाइन इण्डिया फाउण्डेशन एवं विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला का शुभारम्भ श्री ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश एवं समापन श्री अश्विनी लोहानी, अध्यक्ष, रेलवेबोर्ड, भारत सरकार द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश ने इसी तरह की कार्यशाला राष्ट्रीय स्तर पर करने का सुझाव दिया गया। उन्होंने कहा कि अपने संगठन में अच्छी तरह कार्य करने के लिये अपने अधीनस्थों का संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बाल सुरक्षा एवं उनके संरक्षण में जुड़े सभी संस्थाओं को एक मंच पर लाने के लिये एडीजी रेलवे श्री बी0के0 मौर्य की प्रशंसा की। यूनिसेफ के अधिकारी श्री आफताब अहमद ने बच्चों से सम्बन्धित जे0जे0 एक्ट पर प्रकाश डाला। पुलिस अधीक्षक रेलवे, मुरादाबाद द्वारा रेलवे के एसओपी से जुडे विभिन्न पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। विभिन्न एन0जी0ओ0 के प्रतिनिधि के रूप में एहसास की निदेशक श्रीमती शचि सिंह, साथी के श्री प्रमोद कुलकर्णी, एन0जी0ओ0 चेतना के श्री संजय गुप्ता ने बच्चों की बरामदगी एवं उनके पुनर्वास तथा विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ई0ओ0डब्लू0 श्री आर0पी0 सिंह ने बताया कि विभिन्न कारणों से घर से भागने वाले बच्चे अधिकांशतः रेलवे स्टेशन की ओर ही जाते हैं जिसके लिये जीआरपी के इस प्रयास की सराहना की। श्री अरविन्द कुमार, प्रमुख सचिव, गृह, उत्तरप्रदेश ने जीआरपी के मुखिया श्री बी0के0 मौर्य की इस बात के लिये प्रशंसा की कि उन्होंने बच्चों के रेस्क्यू एवं पुनर्वास से जुड़े विभिन्न एजेन्सियों को एक मंच पर ले आये। प्रमुख सचिव, गृह ने बताया कि उत्तर प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है जहां 1100 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं। यहां पर बहुत अधिक संख्या में बच्चे बरामद होते है जिसके लिये अधिक-से-अधिक स्वयं सेवी संस्थाओं को जोड़ने की आवश्यकता बतायी। कार्यशाला के चैथे चरण में श्री अश्विनी लोहानी, चेयरमैन, रेलवे बोर्ड, भारत सरकार, श्री ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, श्री पी0के0 तिवारी, पुलिस महानिदेशक, टेलीकाम, श्री एच0सी0 अवस्थी, पुलिस महानिदेशक विजिलेंस, उत्तर प्रदेश एवं श्री विश्वास चैबे, महाप्रबन्धक, उत्तररेलवे, पुलिस महानिरीक्षक रेलवे इलाहाबाद/लखनऊ, महानिरीक्षक आरपीएफ तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण मुख्य रूप से उपस्थित रहें। श्री लोहानी, चेयरमैन रेलवेबोर्ड, ने अपने सम्बोधन में इस कार्यशाला के आयोजन पर प्रसन्नता प्रकट करते हुये कहा कि रेलवे से सम्बन्धित बच्चों के रेस्क्यू एवं पुनर्वास से सम्बन्धित जो भी समस्यायें हैं, उनका शीघ्र से शीघ समाधान किया जायेगा। श्री कमल सक्सेना, सचिव, महिला एवं बाल विकास उत्तर प्रदेश ने बताया कि उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां भारत वर्ष में सबसे पहले जस्टिस जुवेनाइल फण्ड की स्थापना करके बेसहारा बच्चों से सम्बन्धित शिक्षा एवं उनके रोजगार के लिये प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है। अपने सम्बोधन में इस कार्यशाला के आयोजक श्री बी0के0 मौर्य, अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे नेे बताया कि बेघर, फुटपाथ पर रहने वाले, समाज के व्यवहार से पीड़ित बाल भिखारी, निराश्रित छोड़ दिये गये बच्चों की देखभाल एवं उनके समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि घर से भागने वाले बच्चों की बहुत बड़ी संख्या ट्रेनों का प्रयोग करते हैं। साथ ही ट्रेनों के माध्यम से बच्चों का परिवहन किया जाता है। ऐसे बच्चों की शारीरिक, यौन, भावनात्मक एवं आर्थिक शोषण की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे बच्चों के बचाव एवं पुनर्वास के लिये विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रेलमंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 एक एसओपी तैयार की गयी थी जिसमें कई इकाईयां तथा जीआरपी, आरपीएफ, स्टेशन प्रबन्धक, स्वयं सेवीसंस्थायें एवं राज्य महिला व बाल विकास मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिनमें आपसी समन्वय की आवश्यकता है।
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