पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राज्यपाल राम नाईक ने दुःख व्यक्त किया..

लखनऊः 16 अगस्त, 2018 ‘‘युगान्त हुआ! 21वीं सदी के भारतीय राजनीति के महानायक हमें छोड़ गए।  मेरा आदर्श नेता, सच्चा हितैषी मैंने खोया। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अटल बिहारी वाजपेयी एक सर्वमान्य और लोकप्रिय नेता थे। सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी उनमें। अटल जी के साथ संगठन में और उनके मंत्रिमण्डल में पेट्रोलियम व अन्य महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला।  अटल जी उदारता की राजनीति के लिये जाने जाते थे जिनमें अपना बनाने की विशेष कला थी। पक्ष-विपक्ष के सभी लोग उनका सम्मान करते थे। उनकी चिरस्मृति देशवासियों को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। लखनऊ से तो उनका विशेष लगाव था, यहां से वे कई बार सांसद बनें।’’ ये विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर व्यक्त किये।
    राज्यपाल ने कहा कि आज भी याद है कि जब 1994 में वे कैंसर रोग से पीड़ित थे तो अटल जी अनेक बार उनसे मिलने मुंबई स्थित आवास आये थे। मेरे स्वस्थ होने पर 25 सितम्बर, 1994 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ती के अवसर पर मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में अटल जी आये थे। अटल जी के शब्द थे ‘आये हुए जनसमूह को देखकर ईष्र्या होती है कि रामभाऊ कितने लोकप्रिय हैं। रामभाऊ मृत्यु के दरवाजे से वापस आये हैं। बोनस में मिला जीवन इस बात का संकेत है कि आगे देश और समाज के लिये और काम करना है।’ राज्यपाल ने कहा कि अब ऐसा उत्साहवर्धन करने वाला मित्रवत नेता कभी नहीं मिलेगा।
    श्री नाईक ने बताया कि 1980 में भारतीय जनता पार्टी के मुंबई में आयोजित प्रथम अधिवेशन में अटल जी ने कहा था ‘अंधेरा छटेगा, सूरज उगेगा और कमल खिलेगा।’ न्यायमूर्ति छागला ने अधिवेशन में अपार भीड़ देखकर कहा था कि ‘‘मेरे सामने ‘मिनी इण्डिया’ है और मेरे दाहिनी ओर बैठे अटल जी में मैं भविष्य का प्रधानमंत्री देख रहा हूँ।’ राज्यपाल ने कहा कि अधिवेशन के बाद ‘अबकी बारी अटल बिहारी’ का नारा बहुत लोकप्रिय हुआ था, जो उनके ही नेतृत्व में 1998 में साकार हुआ।
    राज्यपाल ने कहा कि ‘मैं उनकी स्मृति को प्रणाम करते हुए उनको सद्गति प्राप्त हो, ऐसी कामना करता हूँ।’ ईश्वर हमें इस दारूण दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। 

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