राज्यपाल ने किया भातखण्डे में नवनिर्मित प्रेक्षागृह का उद्घाटन

राज्यपाल ने कहा कि मैं जब भी इस संस्थान में आता हूँ तो स्वर्गीय विष्णु नारायण भातखण्डे का स्वाभाविक स्मरण होता है जिन्होंने महाराष्ट्र से आकर लखनऊ को अपनी कर्मस्थली बनाया तथा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच एक रिश्ता बनाया जो आज और आने वाले कल में भी कायम रहेगा। शास्त्रीय संगीत हमारी पहचान का प्रमुख हिस्सा है। पूर्वजों से मिली इस विरासत के प्रति सम्मान प्रकट करते हुये आने वाली पीढ़ियों के लिये इसका संरक्षण करें। भातखण्डे संगीत संस्थान ने भारत सहित विदेशों में भी कीर्ति अर्जित की है जिससे भारतीय संगीत वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा का पात्र हुआ। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर अग्रसर रहते हुये भारतीय शास्त्रीय संगीत को और समृद्ध करने का काम कर रहा है।
श्री नाईक ने कहा कि महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश का अभूतपूर्व रिश्ता है। प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ पर वनवास के समय वे नासिक के पंचवटी में रहे। शिवाजी महाराज ने हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की पर उन्हें छत्रपति तब माना गया जब काशी के विद्वान गागा भट्ट ने रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक कराया। ऐसी ही 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, जिसे अंग्रेजों ने बगावत कहा तो वीर सावरकर ने सही इतिहास सामने रखकर यह बताया कि वास्तव में 1857 में स्वतंत्रता का पहला संग्राम हुआ था जिसमें नाना साहब पेशवा, रानी लक्ष्मीबाई ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। पत्रकारिता में मराठी भाषी बाबू राव पराड़कर ने भी उत्तर प्रदेश में पहचान बनायी। उन्होंने कहा कि ‘मैं महाराष्ट्र से राज्यपाल बनकर उत्तर प्रदेश आया और मैंने उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र को जोड़ने का काम किया।’
राज्यपाल ने कहा कि प्रेक्षागृह के बनने से विश्वविद्यालय की एक कमी पूरी हो गयी है। भारत में अकेला संगीत विश्वविद्यालय होने के बावजूद विश्वविद्यालय को दीक्षांत समारोह अन्य स्थल पर आयोजित करना पड़ता था। आज विश्वविद्यालय को अपने घर में प्रेक्षागृह मिल गया है। भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में विदेशों से भी विद्यार्थी भारतीय संगीत सीखने आते हैं जो भारत के लिये गर्व की बात है। विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अधिकारियों को राज्यपाल ने बधाई देते हुये कहा कि विश्वविद्यालय के विकास की रूपरेखा एक ‘विजन डाक्युमेंट’ के रूप में प्रस्तुत करें जिससे सरकार से जो भी आवश्यकता होगी उस पर विचार-विमर्श किया जायेगा। उन्होंने सरकार की सराहना करते हुये कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालयों को पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा धन देना प्रारम्भ किया है।
कार्यक्रम में कुलपति श्रीमती श्रुति सडोलीकर ने विश्वविद्यालय के इतिहास पर प्रकाश डालते हुये उसकी गतिविधियों की भी जानकारी दी। विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा उद्घाटन समारोह के अवसर पर कथक, भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गयी।
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