प्रयागराज कुंभ में पहली बार संन्यास दीक्षा संपन्न हुआ

प्रयागराज कुंभ में पहली बार दशनामी जूना अखाड़े में लगभग 800 संतों को संन्यास दीक्षा दी गई। सभी धार्मिक समारोह गंगा नदी के तट पर आज सुबह संपन्न हुए। कल संतों के सिर का मुंडन करने और नदी में पवित्र डुबकी लगाने के साथ ही यह समारोह शुरू हो गया था। इसके लिए हरिद्वार और वाराणसी से नाइयों को बुलाया गया था। अखाड़े के शिविर में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज के द्वारा सहित दीक्षा सहित नदी के तट पर तथा अखाड़े के कैंप में कई अनुष्ठान किए गए।

जिन संतों को संन्यास दीक्षा दी गई उनमें छह विदेशी भी शामिल हैं। उनकी पहचान का खुलासा अखाड़े ने नहीं किया है क्योंकि संन्यासी का कोई रिश्तेदार नहीं होता है और वे संन्यास दीक्षा के बाद दिगंबर बन जाते हैं। वे अपने कपड़े त्याग देते हैं और केवल पीतांबरी (गेरूआ वस्त्र) धारण करते हैं। सभी नए संन्यासी मौनी अमावस्या पर अखाड़ों के संतों और साधकों के साथ दूसरे शाही स्नान में शामिल होंगे।

उन्हें अखाड़े में तीन वर्ष तक उनके व्यवहार की कड़ी निगरानी के बाद संन्यास दीक्षा दी गई है।

अखाड़ा संत स्वामी विद्यानंद सरस्वती और अखाड़ा परिषद के सचिव स्वामी हरि गिरि जी ने दीक्षा समारोहों की निगरानी की। मौनी अमावस्या पर अखाड़े के शाही स्नान के दौरान संगम पर पवित्र डुबकी के बाद संन्यास दीक्षा की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जूना अखाड़ा ऐसा पहला अखाड़ा है जिसने प्रयागराज कुंभ में संतों को संन्यास दीक्षा दी है।

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