होम्योपैथी के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग बढ़ाने के लिए आयोजित वर्ल्ड इंटीग्रेटेड मेडिसिन इंटरनेशनल फोरम के समापन समारोह में गोवा की राज्यपाल उपस्थित हुईं

होम्यपैथी औषधि उत्पादों के नियमन पर आधारित तीनदिवसीय वर्ल्ड इंटीग्रेटेड मेडिसिन फोरम का आज समापन हो गया। इसका मूल विषय था- वैश्विक सहयोग बढ़त की ओर। गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा इस फोरम के समापन समारोह में उपस्थित हुईं। उन्होंने अपने संबोधन में प्रतिनिधियों के साथ होम्योपैथी के अपने सकारात्मक अनुभवों को साझा किया। श्रीमती सिन्हा ने इस फोरम के आयोजन के लिए आयुष मंत्रालय को बधाई दी, जो होम्योपैथी औषधियों के नियमन की जरूरत और उनसे जुड़ी चुनौतियों के बारे में चर्चा के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने फोरम के मूल विषय वैश्विक सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि विश्व के विभिन्न हिस्सों में इन औषधियों के नियमन की दिशा में यह एक संयुक्त पहल है। उन्होंने कहा कि अधिकांश पारम्परिक औषधि प्रणालियों से भिन्न, होम्योपैथी एक अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान है, इसलिए होम्योपैथी के विकास में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिलना ही चाहिए, जो फोरम का मूल विषय भी है।
इस फोरम में 21 देशों के लगभग 150 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। आयुष मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक फोरम के उद्घाटन और समापन दोनों अवसरों पर उपस्थित हुए। श्री नाइक ने कहा कि होम्योपैथी बाजार का चहुंमुखी विकास हो रहा है। यह अधिकांश देशों तक पहुंचने के साथ-साथ और अधिक संख्या में उत्पादों का निर्माण कर रहा है। इसलिए इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इन औषधियों का नियमन होना महत्वपूर्ण है। श्री नाइक ने कहा कि भारत विश्व भर में होम्योपैथी औषधीय उत्पादों के निर्माण में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने के लिए अपने उत्पादन को निरंतर अद्यतन बनाने के साथ-साथ प्रौद्योगिकियों के मानकीकरण में जुटा है। उन्होंने कहा कि भारतीय होम्योपैथी उत्पादों की मांग न केवल अपने देश में है, बल्कि विश्व के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी इसकी मांग है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्योग जगत अपने उत्पादों को वहां तक निर्यात कर रहा है, जहां तक इसकी व्यवहार्यता हो। किन्तु इनके सामने चुनौतियां वहां हैं, जहां या तो व्यापार के अवसर खुले नहीं है, अथवा जटिलता है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी औषधियों के आयात और निर्यात की अनुमति के लिए और अधिक संभावनाएं तैयार करने की जरूरत है।
आयुष मंत्रालय, होम्योपैथिक फॉर्माकोपिया कन्वेंशन ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स (एचपीसीयूएस) एवं यूरोपियन कोलीशन ऑन होम्योपैथिक एंड आन्थ्रोपोसोफिक मेडिसिनल प्रोडक्ट (ईसीएचएएमपी), फॉर्माकोपिया कमीशन ऑफ इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी और केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सहयोग से केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) के द्वारा इस फोरम का आयोजन किया गया था। इस फोरम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों और औषधि नियामक प्राधिकरणों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ फॉर्माकोपिया विशेषज्ञों और जर्मनी, अमरीका, फ्रांस, यूके, ब्राजील, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेटीना, रूस, ग्रीस, आस्ट्रिया, क्यूबा, कतर, क्रोएशिया, मलेशिया, जापान, हांगकांग और श्रीलंका जैसे देशों के उद्योगपतियों सहित सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के हितधारकों ने भागीदारी दर्ज की। भारत के विभिन्न राज्यों के पशुचिकित्सा विशेषज्ञ, नियामक और औषधि नियंत्रक भी इस फोरम के प्रतिनिधियों में शामिल थे।

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