भारतीय नौसेना ने “26/11” के दस वर्ष पश्चात अब तक के सबसे बड़े तटीय रक्षा युद्धाभ्यास का समन्वय किया

26/11 के आतंकवादी हमले के दस वर्ष पश्चात आज भारतीय नौसेना ने भारतीय तट पर अब तक का सबसे बड़ा तटीय रक्षा युद्धाभ्यास शुरू किया । अपनी तरह का पहला युद्धाभ्यास सी विजिल 7516.6 किलोमीटर लंबी समूची तटरेखा एवं भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र पर आयोजित किया जा रहा है एवं इसमें मत्स्य उद्योग से जुड़े समुदायों तथा तटवर्ती समुदायों समेत समस्त सामुद्रिक हिस्सेदारों के साथ ही सभी 13 तटवर्ती प्रदेश एवं केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं ।
सी विजिल’ युद्धाभ्यास का उद्देश्य 26/11 के पश्चात उठाये गए कदमों की फलोत्पादकता को विस्तृत एवं अंखड रूप से मान्यता देना है ।युद्धाभ्यास के दौरान समुद्र के अंदर निगरानी में राज्य समुद्र पुलिस की सहायता से भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल द्वारा तट से दूर समुद्रगामी विकास क्षेत्रों में तथा हमारे द्वीपों से दूर गश्त शामिल है । करीबी तट, रणनीतिक स्थल, बंदरगाह, सिंगल प्वाइंट मूरिंग्स (एसपीएम) आदि की गश्त नामित एजेंसियों द्वारा की जाएगी । समुद्र के अंदर निगरानी में खुफिया श्रोतों समेत तकनीकी माध्यमों से जनित सूचनाएं भी आवश्यक होंगी। तटरेखा आधारित निगरानी में तट पर राज्य पुलिस द्वारा बढ़ी हुई चौकसीप्रदेश मत्स्य विभागों द्वारा मत्स्य केंद्रों की निगरानी तथा संबंधित बंदरगाह प्राधिकरणों द्वारा बंदरगाह क्षेत्रों की निगरानी भी शामिल होगी ।
युद्धाभ्यास का उद्देश्य सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में साथ-साथ तटवर्ती सुरक्षा प्रणाली को सक्रिय करना है ।युद्धाभ्यास में पहली बार द्वीप स्थलों समेत भारत के संपूर्ण तट के व्यापक अग्रभाग वाले क्षेत्रों को कवर किया जाएगा । यह युद्धाभ्यास भीतरी क्षेत्रों तक, समुद्रगामी, तटवर्ती एवं भूमि क्षेत्र तक फैलाकर आयोजित किया जाएगा । इस दौरान विभिन्न एजेंसियों के मध्य समन्वय, सूचना का आदान-प्रदान एवं तकनीकी निगरानी समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों एवं प्रक्रियाओं के मूल्यांकन बीड़ा उठाया जाएगा । युद्धाभ्यास के इच्छित परिणामों में बहु एजेंसी अंकेक्षण, कमियों की पहचान का कार्य एवं अभ्यास के दौरान सीखी बातों को कार्य संपादन की सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों (एसओपी) में शामिल करना है ।
जबकि निकटवर्ती राज्यों के बीच संयुक्त युद्धाभ्यासों समेत तटवर्ती प्रदेशों में छोटे अभ्यास द्विवार्षिक आधार पर संचालित किये जाते हैं, राष्ट्रीय स्तर पर एक सुरक्षा युद्धाभ्यास का संचालन संभवतः पहली बार हो रहा है । यह 26/11 की घटना के बाद तय की गई दूरी को दर्शाता है तथा तटवर्ती सुरक्षा के लिये बड़े स्तर पर इतना बड़ा प्रयास करने में संस्था की सापेक्षिक परिपक्वता को प्रतिबिंबित करता है । इन अर्जित लाभों के बावजूद चुनौतियां बहुत बड़ी हैं । सी विजिल युद्धाभ्यास हमारी शक्तियों तथा कमियों का यथार्थवादी आकलन उपलब्ध कराएगा एवं इससे हमारी सामुद्रिक सुरक्षा, तदनंतर राष्ट्रीय सुरक्षा, सुदृढ़ बनाने में निश्चित रूप से सहायता मिलेगी ।
भौगोलिक दृष्टिकोण से, हिस्सेदारों की भागीदारी के स्तर पर, इच्छित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिहाज से इस अभ्यास में भाग लेने वाली यूनिट्स की संख्या के आधार पर इसकी व्यापकता अभूतपूर्व है । इस युद्धाभ्यास से सेना के तीनों अंगों के विशाल थिएटर स्तरीय युद्धाभ्यास ट्रोपैक्स (थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज) की पीठिका तैयार होगी जिसको भारतीय नौसेना हर दो वर्ष में आयोजित करती है । सी विजिल एवं ट्रोपैक्स से शांति से टकराव तक अवस्थानंतर समेत सामुद्रिक सुरक्षा का संपूर्ण कार्यक्षेत्र साथ कवर हो जाएगा । भारतीय नौसेना तथा भारतीय तटरक्षक बल अपनी सारी सामरिक संपत्ति के साथ सी विजिल में भाग ले रहे हैं । सी विजिल युद्धाभ्यास के संचालन में रक्षा, गृह, पोत परिवहन, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालयों, मत्स्य, कस्टम, प्रदेश सरकारों एवं केंद्र व राज्यों की अन्य एजेंसियों की सहायता भी प्राप्त हो रही है ।
पूर्वपीठिका
26/11’ के बाद भारतीय नौसेना को समुद्रगामी एवं तटवर्ती सुरक्षा समेत सम्पूर्ण सामुद्रिक सुरक्षा के लिये उत्तरदायी एजेंसी प्राधिकृत कर दिया गया था । मुंबई, कोच्चि, विशाखापट्टनम एवं पोर्ट ब्लेयर में नौसेना के कमांडरों को भी तटीय सुरक्षा के लिये कमांडर इन चीफ नामित कर दिया गया था । भारतीय तटरक्षक बल को सामुद्रिक पुलिस द्वारा गश्त लगाए जाने वाले जलक्षेत्र समेत प्रादेशिक जल में तटीय सुरक्षा के लिये उत्तरदायी एजेंसी के रूप में प्राधिकृत कर दिया गया था । इन सभी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करने के स्वरूप भारतीय नौसेना ने सी विजिल युद्धाभ्यास की योजना तैयार की।
तटवर्ती सुरक्षा एक जटिल कार्य है क्योंकि इसमें समुद्र समेत भूमि क्षेत्र से संबंधित गतिविधियां भी सम्मिलित होती हैं । आतंकवादियों के लक्ष्य ज़मीनी क्षेत्र के काफी अंदर हो सकते हैं ।26/11 के पश्चात समुद्री सुरक्षा के लिये समस्त-सरकारों वाला रवैया अंगीकार किया गया एवं अनेक हिस्सेदारों द्वारा बड़ी संख्या में कई कदम उठाए गए । प्रभावी केंद्र-राज्य समन्वय एवं समुद्री व तटीय सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों की समीक्षा के लिये सर्वोच्च स्तर पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक नेशनल कमिटी ऑन स्ट्रेंथनिंग मैरिटाइम एंड कोस्टल सिक्योरिटी (एनसीएसएमसीएस) की स्थापना की गयी । इसी प्रकार प्रदेश एवं ज़िला स्तर पर भी समितियों का निर्माण किया गया । सामरिक स्तर पर इसमें नौसेना के ज्वाइंट ऑपरेशन्स सेंटर (जेओसी) एवं भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के कोस्टल सिक्योरिटी ऑपरेशन्स सेंटर की स्थापना शामिल है ।
तकनीकी निगरानी पर ध्यान देकर एवं तटीय राडार श्रृंखला व अन्य प्रणालियों के माध्यम से मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस (एमडीए) में वृद्धि कर एक बहुस्तरीय गश्त एवं निगरानी प्रणाली अंगीकार कर ली गई । नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस (NC3I) नेटवर्क के माध्यम से तत्क्षण सूचना साझा करने को तथा खुफिया जानकारियों तथा सामरिक समन्वय को केंद्र में रखा गया । मत्स्य, समुद्रगामी, बंदरगाह एवं पोत क्षेत्र में क्षेत्रवार सुरक्षा कदम भी स्वीकार किये गए । कुल मिलाकर जहां पिछले दशक में अर्थपूर्ण प्रगति हुई है, किंतु सामुद्रिक क्षेत्र में, विशेषकर निरंतर ख़तरे देखते हुए, चिंताएं भी बनी हुई हैं । 
 सी विजिल युद्धाभ्यास की प्रमुख विशेषताएं

1.     26/11 के दस वर्ष पश्चात भारतीय नौसेना दिनांक 22-23 जनवरी, 2019 को भारतीय तटरेखा पर अब तक के सबसे बड़े तटीय रक्षा युद्धाभ्यास सी विजिल का समन्वय करेगी ।

 2.     अपनी तरह का पहला युद्धाभ्यास सी विजिल 7516.6 किलोमीटर लंबी समूची तटरेखा एवं भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र पर आयोजित किया जा रहा है एवं इसमें मत्स्य उद्योग से जुड़े समुदायों तथा तटवर्ती समुदायों समेत समस्त सामुद्रिक हिस्सेदारों के साथ-साथ सभी 13 तटवर्ती प्रदेश एवं केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं ।
  
3.     भौगोलिक दृष्टिकोण से, हिस्सेदारों की भागीदारी के स्तर पर, इच्छित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिहाज से अभ्यास में भाग लेने वाली यूनिट्स की संख्या के आधार पर इस युद्धाभ्यास की व्यापकता अभूतपूर्व है ।

4.     इस युद्धाभ्यास से सेना के तीनों अंगों के विशाल थिएटर स्तरीय युद्धाभ्यास ट्रोपैक्स (थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज) की पीठिका तैयार होगी जिसको भारतीय नौसेना हर दो वर्ष में आयोजित करती है ।

5.     सी विजिल युद्धाभ्यास के संचालन में रक्षा, गृह, पोत परिवहन, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालयों, मत्स्य, कस्टम, प्रदेश सरकारों एवं केंद्र व राज्यों की अन्य एजेंसियों की सहायता भी प्राप्त हो रही है । 

6.     26/11’ के बाद भारतीय नौसेना को समुद्रगामी एवं तटवर्ती सुरक्षा समेत सम्पूर्ण सामुद्रिक सुरक्षा के लिये उत्तरदायी एजेंसी प्राधिकृत कर दिया गया था । इन सभी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करने के स्वरूप भारतीय नौसेना ने सी विजिल युद्धाभ्यास की योजना तैयार की ।
  
7.     सी विजिल’ युद्धाभ्यास का उद्देश्य 26/11 के पश्चात उठाये गए कदमों की फलोत्पादकता को विस्तृत एवं अंखड रूप से मान्यता देना है। युद्धाभ्यास के दौरान समुद्र के अंदर निगरानी तथा समुद्र तट पर निगरानी दोनों शामिल है ।

8.     यह युद्धाभ्यास संपूर्ण तटरेखा को कवर करने के साथ-साथ आंतरिक क्षेत्रों तक भी जाएगा ।

9.     इस दौरान विभिन्न एजेंसियों के मध्य समन्वय, सूचना का आदान-प्रदान एवं तकनीकी निगरानी समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों एवं प्रक्रियाओं के मूल्यांकन का बीड़ा उठाया जाएगा । युद्धाभ्यास के इच्छित परिणामों में बहु एजेंसी अंकेक्षण, कमियों की पहचान का कार्य एवं अभ्यास के दौरान सीखी बातें कार्य संपादन की सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों (एसओपी) में शामिल करना है ।

10.            सी विजिल युद्धाभ्यास हमारी शक्तियों तथा कमियों का यथार्थवादी आकलन उपलब्ध कराएगा एवं इससे हमारी सामुद्रिक सुरक्षा, तदनंतर राष्ट्रीय सुरक्षा, को सुदृढ़ बनाने में निश्चित रूप से सहायता प्राप्त होगी । 

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