नमो" हमें दिखाती है कि, एक शासक और नागरिक कैसा होना चाहिए: निर्देशक विजेश मणि
'नमो' एक ऐसी फिल्म है, जो दो उद्देश्यों को साथ लेकर चलती है। पहला तो यह कि, 'नमो' संस्कृत भाषा की समृद्ध परंपरा को बढ़ावा देती है और दूसरा यह फिल्म हमें सदियों पुरानी कृष्ण - कुचेला कहानी की तरफ वापस ले जाती है। आईएफएफआई के 51वें संस्करण में भारतीय पैनोरमा फीचर फिल्म के तहत प्रदर्शित 'नमो' फिल्म बहुत कड़े प्रयास करती है। "संस्कृत भाषा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है, इसलिए मैं संस्कृत में एक फिल्म बनाना चाहता था।" गोवा के पणजी में भारत के 51वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आज 23 जनवरी 2021 को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए निर्देशक विजेश मणि ने यह बात कही। 2019 में बनी 102 मिनट की यह फिल्म कल फिल्म समारोह में दिखाई गई।
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