केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने केरल के मुख्यमंत्री के साथ वर्चुअल रूप से पलक्कड़ में आईआईटी के मुख्य परिसर की नींव रखी और निला परिसर का उद्घाटन किया
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और केरल के मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन ने आज एक ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से पलक्कड़ में आईआईटी के मुख्य परिसर की नींव रखी और इसके ट्रांजिट निला परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, विदेश राज्य मंत्री और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री वी. मुरलीधरन द्वारा स्वागत संबोधन दिया गया और केरल के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. के.टी. जलील, राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग, कानून, संस्कृति और संसदीय मामले मंत्री श्री ए.के बालन, जल संसाधन राज्य मंत्री श्री के. कृष्णकुट्टी और पलक्कड़ के सांसद श्री वी. श्रीकांत भी इस अवसर पर ऑनलाइन समारोह में उपस्थित थे। ऑनलाईन कार्यक्रम में आईआईटी पलक्कड़ के बोर्ड ऑफ गवनर्स के चेयरमैन श्री रमेश वेंकटेश्वरन, आईआईटी पलक्कड़ के निदेशक प्रो.पी.बी सुनील कुमार और आईआईटी पलक्कड़ के संकाय, स्टाफ और छात्र उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, मंत्री महोदय ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पलक्कड़ ने वर्ष 2015 में उच्च शिक्षा के साथ अपना प्रयास शुरू करने के बाद से तेजी से प्रगति दर्ज की है। संस्थान ने पिछले डेढ़ दशक में अत्यंत प्रगति की है और अब यह स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों को पूरा करने के लिए 640 छात्रों का निवास है। उन्होंने कहा कि 225 छात्रों ने स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए नामांकन किया और 132 चिकित्सक छात्र, आशाजनक शिक्षण वातावरण में शिक्षा हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान ने शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्रों में बहुत योगदान दिया है और हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की ’न्यू इंडिया’ के निर्माण की कल्पना को साकार करने के लिए उसमें सक्रिय रूप से भाग लिया है।
मंत्री महोदय ने कहा कि उच्च शिक्षा अनुदान एजेंसी (एचईएफए) को एचईएफए में अनुसंधान और शिक्षा बुनियादी ढांचे का प्रबंधन करने के लिए 2020 के बजट में 2200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं । 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय नीति (एनपीई), 1986 को बदलते हुए हाल ही में हमारी सरकार द्वारा पेश की गई नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर विशेष ध्यान रखा गया है। मंत्री महोदय ने आशा व्यक्त की कि इस तरह की बुनियादी सुविधाओं को पूरा करना करने से न सिर्फ देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव होगा अपितु नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन में सहायता भी मिलेगी।
श्री पोखरियाल ने कहा कि एनईपी स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों के लिए अभूतपूर्व रूप से व्यापक रूपरेखा तैयार करती है ताकि इसे अधिक समग्र, बहुआयामी और लचीला बनाया जा सके। उन्होने कहा कि एचईआई समूहों और ज्ञान समूहों के निर्माण के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए एक तर्कसंगत संस्थागत प्रभावी विश्वविद्यालय के व्यापक अर्थों की आवश्यकता को रेखांकित करता है। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत का उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) एक अतिव्यापी स्वरूप के तहत, मानक स्थापना, वित्त पोषण, मान्यता और विनियमन के लिए स्वतंत्र निकायों के साथ देश में उच्चतर शिक्षा को हल्के किंतु नियंत्रित’ रूप से प्रोत्साहन देगा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग को एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) की स्थापना के माध्यम से शिक्षा के सभी स्तरों में एकीकृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के संदर्भ में स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों की ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री विजयन ने संस्थान की विभिन्न केंद्रीय और राज्य प्रायोजित योजनाओं में अपने पूर्ण समर्थन और भागीदारी के माध्यम से क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यूनेस्को के वैश्विक धरोहर स्थल, पश्चिमी घाट के तल पर 500 एकड़ के भूखंड पर एक सुरम्य स्थायी परिसर की स्थापना, शिक्षा को बढ़ावा देने और अनुसंधान के क्षेत्र में अपने योगदान से समाज को लाभान्वित करने के लिए की दिशा में दीर्घकालीन मार्ग तय करेगा।
वर्तमान में, आईआईटी पलक्कड़ इंजीनियरिंग अर्थात सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर साइंस के चार विषयों में बीटेक कार्यक्रम प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, संस्थान ने एमएस (अनुसंधान द्वारा), एमटेक, और एमएससी से जुड़े स्नात्तकोत्तर कार्यक्रमों की भी शुरुआत की है। एमएस कार्यक्रम को वर्ष 2017 में जबकि एमटेक और एमएससी कार्यक्रमों 2019 में जोड़ा गया था। एमटेक प्रोग्राम्स के तहत जियोटेक्निकल, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और सामग्री इंजीनियरिंग, कम्प्यूटिंग और गणित, डाटा साइंस, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर सिस्टम और सिस्टम-ऑन-चिप डिज़ाइन जैसे विषयगत क्षेत्रों पर गहरा अध्ययन किया गया है। एमएस कार्यक्रम इंजीनियरिंग की सभी चार शाखाओं में उपलब्ध हैं, जबकि एमएससी कार्यक्रम भौतिकी, रसायन, विज्ञान और गणित में अध्ययन प्रदान करता है। चिकित्सक कार्यक्रम वर्ष 2017 में प्रारंभ हुआ और यह संस्थान के सभी आठ विषयों में इंजीनियरिंग से लेकर मानविकी तक उपलब्ध है।
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