राज्यपाल ने काव्य संग्रह ‘फिर फिर अधीर’ का लोकार्पण किया

लखनऊः 22 सितम्बर, 2018  उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन में सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी डाॅ0 इंदु प्रकाश ऐरन के सचित्र काव्य संग्रह ‘फिर फिर अधीर’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी, राज्यसभा सांसद डाॅ0 अशोक बाजपेई, राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री हेमन्त राव, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री जे0वी0जी0 कृष्णमूर्ति, साहित्यकार डाॅ0 विद्या बिन्दु सिंह, डाॅ0 मोनिका सक्सेना सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। 
राज्यपाल ने लोकार्पण के उपरान्त अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘आश्चर्य लगता है कि आई0ए0एस0 की नौकरी अत्यन्त व्यस्त सेवा है जिसमें 10 से 5 की कोई समय सीमा नहीं होती। डाॅ0 इन्दु प्रकाश ऐरन ने अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाया भी और साहित्य को भी समृद्ध किया। वे एक कुशल प्रशासक रहे तथा उसके साथ-साथ साहित्यकार, कुशल चित्रकार, कला प्रेमी तथा संवेदनशील कवि भी हैं। इतनी व्यस्तता के बावजूद लिखने का समय कैसे मिलता है, वास्तव में डाॅ0 ऐरन अनेक गुणों का मिश्रण हैं।’ पुस्तक का नाम भले ही ‘फिर फिर अधीर’ हो, पर उनकी कविता में धीरता है और पढ़ने पर कविता की गहराई का पता चलता है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 ऐरन ने साहित्य साधना से साहित्य को और समृद्ध किया है। 
श्री नाईक ने कहा कि वे कोई साहित्यकार नहीं हैं बल्कि एक ‘एक्सिडेंटल राइटर’ हैं। अपने मराठी संस्मरण ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की चर्चा करते हुये राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक के नाम पर उन्होंने केवल अपने संस्मरण ही लिखे हैं। ‘चरैवति! चरैवेति!!’ श्लोक में कहा गया है कि जो बैठ जाता है उसका भाग्य भी बैठ जाता है, जो सोया रहता है उसका भाग्य भी सो जाता है, जो चलता रहता है उसका भाग्य भी चलता है। सूरज इसलिए जगत वंदनीय है क्योंकि वह निरन्तर चलायमान है। राज्यपाल ने अपने बचपन के दिनों में बनायी गयी चित्रकारी के अनुभव को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति क्रियाशील रहता है उसी को सफलता प्राप्त होती है।
मंत्री प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि वे डाॅ0 इंदु प्रकाश ऐरन को 10-15 साल से जानती हैं। वे एक संवेदनशील व्यक्ति हैं। अपनी कविताओं और चित्रकारी के माध्यम से उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के दुःख तथा पर्यावरण की चिन्ता को प्रस्तुत किया है। उन्होंने काव्य संग्रह ‘फिर फिर अधीर’ की सराहना करते हुये कहा कि यह एक सुंदर कृति है।
इस अवसर पर डाॅ0 विद्या बिन्दु सिंह एवं डाॅ0 मोनिका सक्सेना ने पुस्तक की समीक्षा अपने-अपने अंदाज में प्रस्तुत की। पुस्तक के लेखक डाॅ0 इंदु प्रकाश ऐरन ने भी अपनी बात रखी।

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