नीति आयोग ने आकांक्षी जिलों में वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को लागू करने पर सम्मेलन का आयोजन किया
आकांक्षी जिला कार्यक्रम के परिवर्तन को वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में भारत की पहल से जोड़ते हुए नीति आयोग ने आकांक्षी जिलों में एसडीजी लागू करने के बारे में सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन के समापन सत्र को नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने संबोधित किया। अन्य तकनीकी सत्रों में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव सुश्री प्रीति सूदन, पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के प्रतिनिधि, राज्यों के अधिकारी, केंद्रीय प्रभारी अधिकारी तथा जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट शामिल हुए।
सम्मेलन में प्रमुख वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तथा उन लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक श्रेष्ठ व्यवहारों पर चर्चा की गई। सम्मेलन में स्वास्थ्य, शिक्षा तथा जल संसाधन के महत्वपूर्ण विषयों पर एसडीजी भारत सूचकांक पर अच्छा काम करने वाले राज्यों के प्रतिनिधियों ने प्रेजेंटेशन दिया।
श्री अमिताभ कांत ने चैप्यिनस ऑफ चेंज डैशबोर्ड के आधार पर नवंबर-दिसंबर, 2018 तथा दिसंबर 2018 -जनवरी, 2019 में की गई डेल्टा रैकिंग के आधार पर तेजी से आगे बढ़ने वाले 18 आकांक्षी जिलों को सम्मानित किया।
इन डेल्टा रैकिंग में सभी क्षेत्रों में समग्र सुधार तथा स्वास्थ्य और पोषण कृषि और जल संसाधन, शिक्षा, कौशल विकास, वित्तीय समावेश और आधारभूत संरचना क्षेत्रों में क्षेत्र विशेष रैंक दिखती है।
आकांक्षी जिला कार्यक्रम योजनाओं समोकित करने के सिद्धांत से विकसित हुआ है और सूचकों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाने वाले जिलों को नवाचारी परियोजनाएं चलाने और संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार कार्य के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन का प्रावधान है।
इससे पहले इसी वर्ष लोकउद्यम विभाग ने नियमों को अधिसूचित किया था जिसमें स्वास्थ्य , पोषण तथा शिक्षा के अंतर्गत केंद्रीय सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के कारपोरेट सामाजिमक दायित्व (सीएसआर) आवंटन का 60 प्रतिशत रखने का प्रावधान किया गया। आज चुनौती पद्धति के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं के लिए दो वर्षों के लिए 1000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त धन की घोषणा की गई जिसे डेल्टा रैंकिंग में सुधार के अनुसार प्रत्येक महीने शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिलों को दिया जाएगा।
स्पर्धी और सरकारी संघवाद की भावना को प्रोत्साहित करते हुए जिलों को भारत सरकार की ओर से पूरक धनपोषण किया जाएगा ताकि जिले प्रमुख परियोजनाओं पर फोकस कर सकें। नीति आयोग में विशेषज्ञों का एक दल होगा जो पारदर्शी और लक्षित व्यय सुनिश्चित करने के लिए संभावना रिपोर्ट तैयार करने तथा परियोजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा।
धन पोषण व्यवस्था इस तरह की गई है कि 30 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक खनिज कोष उपार्जित करने वाले जिले अतिरिक्त आवंटन प्राप्त नहीं करते लेकिन उन्हें बेहतर शासन संचालन ढांचा और प्रभावी क्रियान्वयन पर फोकस करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। लेकिन नीति आयोग द्वारा ऐसे जिलों को उनके कार्य प्रदर्शन के लिए मान्यता दी गई है। सम्मेलन के दौरान उनकी विशेष प्रशंसा की गई। राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे इन जिलों को डीएमएफ से बराबर की अतिरिक्त राशि का आवंटन सुनिश्चित किया जाए।
आवंटन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए इस योजना के अंतर्गत धन प्राप्त करने वाले जिले एक कैलेंडर वर्ष में किसी अन्य श्रेणी के अंतर्गत धन आवंटन के पात्र नहीं होंगे। पारदर्शिता और धन के प्रभावी उपयोग के लिए शीघ्र ही विस्तृत दिशानिर्देश अधिसूचित किए जाएंगे।
माननीय प्रधानमंत्री द्वारा जनवरी, 2018 में लांच किया गया आकांक्षी जिलों का परिवर्तन कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विकास से वंचित 112 जिलों को तेजी से और प्रभावी तरीके से बदलना है। कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं में केंद्रीय तथा राज्य योजनाओं को समेकित करना, केंद्रीय और राज्य स्तर के प्रभारी अधिकारियों तथा जिला कलेक्टरों के बीच सहयोग और नये भारत की आकांक्षाओं को साकार करने वाले जनआंदोलन से प्रेरित जिलों के बीच स्पर्धा को प्रोत्साहित करना है।
जिलों की रैंकिंग इस प्रकार है :
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