नितिन गडकरी ने कांडला में दीनदयाल बंदरगाह पर दो बहुउद्देशीय बर्थसेट का उद्घाटन किया। इससे बंदरगाह की क्षमता बढ़ेगी, बड़ी मात्रा में कार्गो का प्रबंधन किया जा सकेगा

केन्‍द्रीय नौवहनसड़क परिवहन और राजमार्गजल संसाधननदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कांडला में दीनदयाल बंदरगाह पर आज वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के जरिए दो बहुउद्देशीय बर्थों- नंबर 14 और नंबर 16 का उद्घाटन किया। उन्‍होंने आईआईटी खड़गपुर के लिए केन्‍द्रीय अंतर्देशीय और तटवर्ती समुद्री टेक्‍नोलॉजी की आधारशिला रखी। इसके अलावा उन्‍होंने जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह ट्रस्‍ट पर एमएसडीई के प्रधानमंत्री कौशल केन्‍द्र (पीएमकेके) कार्यक्रम के अंतर्गत समुद्री प्रचालन तंत्र के बहु कौशल विकास केन्‍द्र (एमएसडीसी) का भी उद्घाटन किया।
      इस अवसर पर श्री गडकरी ने कहा कि तीनों घटनाक्रम समुद्री क्षेत्र और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि कांडला में दो नौवहन बर्थों के होने से बंदरगाह की क्षमता 115 लाख टन से अधिक बढ़ जाएगी। बड़े जहाज बंदरगाह पर खड़े हो सकेंगे और कार्गो की बड़ी मात्रा का प्रबंधन कर सकेंगे। इस प्रचालन तंत्र का खर्च कम करने में मदद मिलेगी और कीमतें कम होंगी। उन्‍होंने कहा कि दीनदयाल बंदरगाह काफी अच्‍छी प्रगति कर रहा है और चाबहार बंदरगाह के साथ यह देश के नौवहन व्‍यापार में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिससे देश की अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ाया जा सकेगा।
      दो बहुद्देशीय बर्थों का निर्माण 280 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। प्रत्‍येक बर्थ की अधिकतम क्षमता 4.50 एमएमटीपीए है और इन्‍हें 75,000 डीडब्‍ल्‍यूटी जहाजों के लिए डिजाइन किया गया है। बहुद्देशीय कार्गो बर्थ न केवल बंदरगाह की क्षमता बढ़ाएंगे बल्कि इनसे काफी हद तक बंदरगाह में भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी। बहुउद्देशीय कार्गो बर्थ संख्‍या 14 और 16 की मदद से बंदरगाह में बड़े जहाजों का और बड़ी मात्रा में कार्गो का प्रबंधन किया जा सकेगा। इससे प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रोजगार के अवसर खुलेंगे और क्षेत्र में आर्थिक समृद्ध‍ि आएगी।
      सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत आईआईटी खड़गपुर में स्‍थापित किए जा रहे अंतर्देशीय और तटवर्ती समुद्री टेक्‍नोलॉजी (सीआईसीएमटी) के आधुनिक केन्‍द्र के बारे में श्री गडकरी ने कहा कि देश के बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र के लिए इस परियोजना का दीर्घकालिक रणनीतिक महत्‍व है। श्री गडकरी ने कहा कि यह समुद्री क्षेत्र के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरणों का केन्‍द्र होगा और विदेशी संस्‍थानों पर भारत की निर्भरता को कम करेगा।
      सीआईसीएमटी आईआईटी खड़गपुर में नौवहन मंत्रालय और उसके सहायक कार्यालयों जैसे भारत के अंतर्देशीय जलमार्गकोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड और प्रमुख बंदरगाहों को तकनीकी सहायताअनुसंधानपरीक्षण और प्रयोग की सुविधा प्रदान करेगा।
      यह केन्‍द्र निम्‍नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्‍यान देगा :-
  1. तटीय/अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए जहाज डिजाइन
  2. जहाज निर्माण प्रौद्योगिकी और ढांचागत डिजाइन
  3. परिवहन प्रणाली और लॉजिस्टिक्‍स
  4. क्रायोजि‍निक कार्गो प्रबंधन
  5. तटीय और अंतर्देशीय जल से हरित/नवीनकरणीय ऊर्जा संमार्जक
  6. नौवहन कार्यों के लिए ऑटोमेशन और ए आई    

परियोजना की लागत 69.20 करोड़ है (कैपेक्‍स -61.05 करोड़ रुपये और औपेक्‍स 8.15 करोड़ रुपये)। जेएनपीटी में नौवहन प्रचालन तंत्र में बहु कौशल विकास केन्‍द्रों (एमएसडीसी) के बारे में चर्चा करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि केन्‍द्र नौवहन प्रचालन तंत्र में कौशल विकास प्रदान करेगा और बंदरगाह तथा नौवहन क्षेत्र में हर वर्ष 1050 से अधिक छात्रों का नियोजन करेगा।   

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