राज्यपाल ने विधान परिषद सदस्य साहब सिंह सैनी से संबंधित याचिका निस्तारित की
लखनऊः 4 अक्टूबर, 2018 उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने विधान परिषद सदस्य श्री साहब सिंह सैनी से संबंधित याचिका को ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (1) के अंतर्गत निस्तारित करते हुये कहा है कि श्री साहब सिंह सैनी विधान परिषद, उत्तर प्रदेश के वैध सदस्य बने रहने योग्य हैं। उल्लेखनीय है कि श्री साहब सिंह सैनी वर्ष 2015 में समाजवादी पार्टी से विधान परिषद उत्तर प्रदेश के सदस्य निर्वाचित हुये थे।
ज्ञातव्य हो कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वर्ष 2018 में योजित याचिका में श्रीमती सुमित्रा सैनी द्वारा श्री साहब सिंह सैनी के विरूद्ध आरोप लगाये गये थे कि वह श्री साहब सिंह सैनी की एकमात्र विवाहिता पत्नी हैं परन्तु श्री साहब सिंह सैनी ने वर्ष 2015 में विधान परिषद उत्तर प्रदेश की सदस्यता हेतु निर्वाचन प्रक्रिया में अपने नामांकन प्रपत्रों में प्रस्तुत शपथ पत्र में श्रीमती रीता वासुदेव का नाम पत्नी के रूप में अंकित कर मिथ्या कथन अंकित किया था।
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने श्रीमती सुमित्रा सैनी की याचिका पर 2 जुलाई, 2018 को आदेश पारित किया कि श्रीमती सुमित्रा सैनी सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125-ए के अंतर्गत प्रत्यावेदन योजित करें। आदेश की एक-एक प्रति राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को प्रेषित करते हुये प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही कर माननीय उच्च न्यायालय को भी सूचित करने को कहा गया था।
राज्यपाल ने 23 जुलाई, 2018 को ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (2) के अंतर्गत श्री साहब सिंह सैनी के प्रकरण को भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को उनके अभिमत हेतु संदर्भित किया था। भारत निर्वाचन आयोग ने 14 सितम्बर, 2018 को राज्यपाल को प्रेषित अपने अभिमत में कहा कि श्री साहब सिंह सैनी उक्त प्रकरण में विधानतः विधान परिषद की सदस्यता से निरर्हित (अयोग्य) घोषित किए जाने योग्य नहीं हैं।
भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली से प्राप्त अभिमत के आधार पर राज्यपाल ने ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये निर्णय लिया कि श्री साहब सिंह सैनी विधान परिषद, उत्तर प्रदेश के वैध सदस्य हैं तथा उक्त प्रकरण में विधानतः विधान परिषद की सदस्यता से निरर्हित (अयोग्य) किये जाने के योग्य नहीं हैं।राज्यपाल ने अपने आदेश की एक-एक प्रति माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद तथा भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को भी प्रेषित कर दी है।
श्री साहब सिंह सैनी उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
ज्ञातव्य हो कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वर्ष 2018 में योजित याचिका में श्रीमती सुमित्रा सैनी द्वारा श्री साहब सिंह सैनी के विरूद्ध आरोप लगाये गये थे कि वह श्री साहब सिंह सैनी की एकमात्र विवाहिता पत्नी हैं परन्तु श्री साहब सिंह सैनी ने वर्ष 2015 में विधान परिषद उत्तर प्रदेश की सदस्यता हेतु निर्वाचन प्रक्रिया में अपने नामांकन प्रपत्रों में प्रस्तुत शपथ पत्र में श्रीमती रीता वासुदेव का नाम पत्नी के रूप में अंकित कर मिथ्या कथन अंकित किया था।
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने श्रीमती सुमित्रा सैनी की याचिका पर 2 जुलाई, 2018 को आदेश पारित किया कि श्रीमती सुमित्रा सैनी सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125-ए के अंतर्गत प्रत्यावेदन योजित करें। आदेश की एक-एक प्रति राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को प्रेषित करते हुये प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही कर माननीय उच्च न्यायालय को भी सूचित करने को कहा गया था।
राज्यपाल ने 23 जुलाई, 2018 को ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (2) के अंतर्गत श्री साहब सिंह सैनी के प्रकरण को भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को उनके अभिमत हेतु संदर्भित किया था। भारत निर्वाचन आयोग ने 14 सितम्बर, 2018 को राज्यपाल को प्रेषित अपने अभिमत में कहा कि श्री साहब सिंह सैनी उक्त प्रकरण में विधानतः विधान परिषद की सदस्यता से निरर्हित (अयोग्य) घोषित किए जाने योग्य नहीं हैं।
भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली से प्राप्त अभिमत के आधार पर राज्यपाल ने ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये निर्णय लिया कि श्री साहब सिंह सैनी विधान परिषद, उत्तर प्रदेश के वैध सदस्य हैं तथा उक्त प्रकरण में विधानतः विधान परिषद की सदस्यता से निरर्हित (अयोग्य) किये जाने के योग्य नहीं हैं।राज्यपाल ने अपने आदेश की एक-एक प्रति माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद तथा भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को भी प्रेषित कर दी है।
श्री साहब सिंह सैनी उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
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