श्री अर्जुन मुंडा ने महाराष्ट्र के रायगढ़ और छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में ट्राइफेड की ट्राइफूड परियोजना वर्चुअल तरीके से लांच की
केंद्रीय जनजातीय मामले मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज यहां राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह, महाराष्ट्र के जनजातीय मामले मंत्री श्री के. सी. पदवी, ट्राइफेड के अध्यक्ष श्री रमेश चंद मीणा और ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्णा की उपस्थिति में महाराष्ट्र के रायगढ़ और छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में ट्राइफेड की ट्राइफूड परियोजना के तृतीयक प्रसंस्करण केंद्रों को ई-लांच किया। मंत्रालयों के वरिष्ट अधिकारियों एवं दोनों राज्यों के गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस वर्चुअल उद्घाटन में भाग लिया।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सहयोग से जनजातीय मामले मंत्रालय के ट्राइफेड द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे ट्राइफूड परियोजना का लक्ष्य जनजातीय वन संग्रहकर्ताओं द्वारा संग्रहित एमएफपी के बेहतर उपयोग एवं मूल्य वर्धन के जरिये जनजातीयों की आय को बढ़ाना है। इसे अर्जित करने के लिए, आरंभ में, दो गौण वन ऊपज (एमएफपी) तृतीयक प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
महाराष्ट्र के रायगढ़ की इकाई का उपयोग महुआ, आंवला, कस्टर्ड सेब एवं जामुन के मूल्य वर्धन के लिए किया जाएगा तथा यह महुआ पेय, आवंले का जूस और कस्टर्ड सेब पल्प का उत्पादन करेगी। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की मल्टी कमोडिटी प्रोसेसिंग सेंटर का उपयोग महुआ, आंवला, शहद, काजू, हल्दी, अदरक, लहसुन एवं अन्य फलां तथा सब्जियों के लिए किया जाएगा। इन्हें महुआ पेय, आंवला जूस, कैंडी, शुद्ध शहद, लीउुन-अदरक पेस्ट एवं फलां तथा सब्जियों के पल्प में रूपांतरित किया जाएगा।
इस परियोजना के साथ जुड़े हुए सभी लोगों को बधाई देते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय खाद्य संग्रहकर्ताओं की निम्न स्थिति में सुधार लाने के उनके प्रयासों की सराहना की। इस समग्र विकास पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, उन्होंने जनजातीय जीवन की जैव-विविधता के तथा कैसे इन्हें संरक्षित किया जाए एवं बढ़ाया जाए, से संबंधित पहलुओं को छूआ। उन्होंने कहा कि यह परियोजना जनजातीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में सहायक होगी। उन्होंने विशेष रूप से इस परियोजना के लिए ट्राइफेड के प्रयासों की सराहना की जो न केवल यह सुनिश्चित करता है कि यह जैव-विविधता बनी रहे बल्कि जनजातीयों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकेज को भी आगे बढ़ाता है। जनजातीयों के उत्थान के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में ट्राइफेड इस अभूतपूर्व संकट के समय उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए कई अभिनव पहल करती रही है। उन्होंने जमीनी स्तर पर इस महत्वाकांक्षी पहल के लिए काम करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जिससे कि इसकी पूरे देश में पुनरावृत्ति की जा सके। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि डीएम एवं डीएफओ जनजातीयों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं।
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