‘मन की बात 2.0’ की 9वीं कड़ी में प्रधानमंत्री का संबोधन|

मन की बात 2.0’ की 9वीं कड़ी को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया हैजो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है, प्रत्‍येक प्राणी के प्रति दया का भावप्रकृति के प्रति अपार प्रेमये सारी बातें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अंग हैं।
प्रवासी पक्षियों के लिए टिकाऊ पर्यावास का निर्माण करने के भारत के प्रयासोंजिनकी हाल ही में गाँधी नगर में सम्‍पन्‍न सीओपी13 सम्‍मेलन’ काफी सराहना की गई थीका उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘’भारत पूरे साल कई प्रवासी प्रजातियों का आशियाना बना रहता है। अलग-अलग इलाकों से पांच-सौ से भी ज्यादा किस्‍म के पक्षी यहां आते हैं।‘’ उन्‍होंने कहा कि आने वाले तीन वर्षों तक भारत प्रवासी प्रजातियों पर होने वाले सीओपी सम्मेलन’ की अध्यक्षता करेगा। उन्‍होंने कहा कि इस अवसर को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए इन प्रयासों के बारे में जनता अपने सुझाव जरुर भेजें। उन्‍होंने  मेघालय में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजाति की मछली का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा, ‘’हमारे आस-पास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैंजिनका अब तक पता नहीं लगाया गया हैं। इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरुरी होता है।‘’

उन्‍होंने महान तमिल कवियत्री अव्वैयार  को उद्धृत करते हुए  कहा, “कट्टत केमांवु कल्लादरु उडगड़वुकड्डत कयिमन अड़वा कल्लादर ओलाआडू। इसका अर्थ है कि हम जो जानते हैंवह महज़मुट्ठी-भर रेत के समान है, लेकिन जो हम नहीं जानते हैंवह अपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड के समान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है जितना जाने उतना ही कम है। उन्‍होंने कहा कि हमारी जैव विविधता पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना हैसंरक्षित रखना है।

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