बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय का दीक्षान्त सम्पन्न
तेजी से बदलती हुई विश्व अर्थव्यवस्था, बढ़ती जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन, कृषि योग्य भूमि की कमी, कृषि उत्पादों की स्थिर व निम्न उत्पादकता आदि कठिन चुनौतियाँ देश के समक्ष हैं। इसलिये कृषि विश्वविद्यालयों को इन सभी चुनौतियों से निबटने हेतु कार्य योजना तैयार करनी चाहिये, जिससे विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर अपनी बेहतर पहचान बना सके। यह विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन, लखनऊ से बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के छठे दीक्षान्त समारोह को वर्चुअल रूप से सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह में 24 विद्यार्थियों को पदक तथा उपाधियां वर्चुअल रूप से वितरित किये।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी कृषि क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक वृद्धि के साथ मजबूती प्रदान की। भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। बढ़ती जनसंख्या के दबाव तथा गैर-कृषि कार्यों में भूमि के बढ़ते उपयोग के परिप्रेक्ष्य में कृषि के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देना आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के कृषि में बहुआयामी विकास हो इसके लिये उत्तर प्रदेश शासन द्वारा बांदा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। राज्यपाल ने कहा कि बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय शोध एवं प्रसार कार्यों द्वारा इस क्षेत्र के किसानों को सक्षम बनाने में योगदान दे।
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