दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 39वां दीक्षांत सम्पन्न
शिक्षा के क्षेत्र मंे जितनी महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षा संस्थानों की है, उतनी ही उनकी दूरदर्शिता की भी है, समय के साथ नये बदलाव को अपनाने से ही शिक्षा स्तर का बेहतर विकास हो सकता है। ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज पं0 दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के 39वें दीक्षांत समारोह के दौरान आॅनलाइन अपने सम्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी से जुड़ा हुआ है। पंडित जी उच्च कोटि के राजनेता ओर दार्शनिक एवं विचारक थे, जिन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश की आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिज्ञ व्यवस्था भारतीय संस्कृति की बुनियाद पर ही निर्धारित और नियोजित होनी चाहिए।
उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोह किसी भी विद्यार्थी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होता है। विद्यार्थी के इम्तिहान का यह सफर अभी समाप्त नही हुआ है, आगे जीवन में बहुत सारी चुनौतियां आयेंगी, जिनका डटकर सामना करना होगा। राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं से कहा कि प्रतिज्ञा करें कि नये जीवन के आरम्भ के साथ ही समाज के उन लोगों का भी ध्यान रखेंगे, जिनके जीवन में विकास की किरण आज तक नहीं पहुंच पायी है।
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