भारतीय भाषाओं का समन्वय ही देश के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल कहा है कि किसी भी राष्ट्र की भाषा उसका गौरव होती है। राष्ट्र की संस्कृति और अस्मिता की पहचान उसकी भाषा से होती है। विश्व में वही देश और समाज प्रतिष्ठा का पात्र होता है, जो अपनी भाषा और अपने संस्कारों का अभिमानी होता है। ये विचार उन्होंने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्ववि़़़द्यालय, लखनऊ में स्टडी सेन्टर एवं स्टूडेन्ट फैसिलिटी सेन्टर के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त किये।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय भाषाओं का समन्वय ही देश के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा और यही विश्व को जोड़ने वाला सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे गणतंत्र में एकता और स्थायित्व बनाने के लिये भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है।
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि इस विश्वविद्यालय ने अपने नाम में परिवर्तन कर कुछ भाषाओं की जगह सभी भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रावधान किया है। विश्वविद्यालय द्वारा अब हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी तथा फारसी के साथ-साथ संस्कृृत भाषा के भी पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि विश्वविद्यालय में टर्किस, पाली, प्राकृत एवं अन्य भाषाओं के लिये भी एक विस्तृत कमेटी बना दी गयी है। जिसमें विभिन्न प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के भाषा विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।

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