साक्ष्य आधारित नीति निर्धारण में शोध एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है: श्री अर्जुन मुंडा

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आईआईपीए के साथ साझेदारी से जनजातीय समुदाय के टिकाऊ विकास के लिए बहुपक्षीय दृष्टिकोण पर 28 से 30 जनवरी 2021 के बीच तीन दिवसीय कार्यशाला का वर्चुअल माध्यम से आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में एनईएचयू, आरजीएनयू, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय, नागालैंड विश्वविद्यालय, जेएनयू, डीयू, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय और बीएचयू इत्यादि के 70 जनजातीय शोधकर्ताओं ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न उत्कृष्टता केंद्रों और जनजातीय शोध संस्थानों के प्रमुखों ने इस सम्मेलन के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की और जनजातीय शोधकर्ताओं का मार्गदर्शन किया।

जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने अपने संदेश में कहा कि साक्ष्य आधारित नीति निर्माण में शोध एक बेहद महत्वपूर्ण घटक है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय शोधार्थियों का विकास करना है। इसके लिए उन्हें सीखने का एक वातावरण उपलब्ध कराने से लेकर उनका सहयोग करने, योगदान देने और उन्हें मान्यता देने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है ताकि उन्हें जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही केंद्र और राज्य स्तरीय विभिन्न शोध एवं मूल्यांकन गतिविधियों में शामिल होने योग्य बनाया जा सके।

Comments

मुख्य समाचार

योगी आदित्यनाथ के मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

राज्यपाल से मिले प्रशिक्षु आई0पी0एस0 अधिकारी..

वर्षांत समीक्षा 2018 - मानव संसाधन विकास मंत्रालय