नशा उन्मूलन के क्षेत्र में कार्य करें चिकित्सा से जुड़े लोग — डा. बी.एन.सिंह

लखनऊ, 30 मई।  चिकित्सा पेशा नहीं, सामाजिक दायित्व भी है। जब कोई चिकित्सक बनता है तो समाज के लोग उसे अपना जीवन रक्षक मानते हैं। इसलिए समाज चिकित्सकों की बात मानता है। नशा उन्मूलन के क्षेत्र में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग कार्य करें। यह बातें उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष डा. बी.एन .सिंह ने कही। वह होम्योपैथी साइंस कांग्रेस सोसायटी और नशा मुक्ति आन्दोलन की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बचपन में जो बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू कर देते हैं तो उनका शारीरिक विकास रूक जाता है। यदि किसी व्यक्ति् ने पांच लोगों को धूम्रपान छुड़वा दिया तो समाज भी स्वस्थ रहेगा तभी देश व विश्व का विकास होगा। नशा छोड़ने के लिए फल व सब्जियों का सेवन अधिक करें। डा.बी.एन.सिंह ने कहा कि ध्यान, व्यायाम एवं योग इस तलब पर काबू पाने में मददगार हो सकता है। चिकित्सकों को पहले इसे छोड़ देना चाहिए फिर सलाह देना चाहिए। पुर्तगालियों के जमाने में भारत में तंबाकू आयी — डा. अनुरूद्ध वर्मा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य डा. अुनरूद्ध वर्मा ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख लोग तंबाकू के सेवन से मौत के शिकार हो रहे हैं। पुर्तगालियों के जमाने में भारत में तंबाकू आयी। आज भारत में सबसे ज्यादा युवा तंबाकू का सेवन कर रहे है। शौक में लड़कियां भी तंबाकू व सिगरेट का सेवन कर रही हैं। जिस देश का युवा नशे में फंस गया तो उस देश की उन्नति नहीं हो सकती। एक सर्वे के मुताबिक सिगरेट का एक कश पांच मिनट जिंदगी का कम कर रहा है। डा. वर्मा ने कहा कि तंबाकू की रोकथाम में लड़कियां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।तंबाकू पर प्रतिबंध लगाये सरकार — बृजनन्दन तंबाकू के खिलाफ युवाओं को जागरूक करेगा एनएमए नशा मुक्ति आन्दोलन के संयोजक बृजनन्दन ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में पूर्ण रूप से तम्बाकू व शराब पर प्रतिबंध लगे तभी उत्तर प्रदेश स्वस्थ समृद्ध व स्वावलम्बी प्रदेश बन सकता है।  बृजनन्दन ने कहा कि सरकार को चाहिये कि तम्बाकू के निर्माण एवं बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाये तथा सार्वजनिक रूप से धूम्रपान करने वालों पर आर्थिक दण्ड लगाया जाना चाहिए। सरकार को इसे आमदनी का साधन नहीं बनाया जाना चाहिये तथा इसे सामाजिक अपराध माना जाना चाहिए। आइये संकल्प लें कि स्वंय तो धूम्रपान नही करेंगे और दूसरों को भी इससे दूर रखने का प्रयास करेंगे। तभी इस समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है और धूम्रपान एवं तम्बाकू मुक्त समाज का निर्माण कर इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है। नशा मुक्ति आन्दोलन तंबाकू के खिलाफ युवाओं को जागरूक करेगा। नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज की डा. रेनू महेन्द्रा ने कहा कि महिलाओं के धूम्रपान करने से महिलाओं में मासिक चक्र की अनियमितता, कब्ज, भूख न लगना, गैस बनना, चक्कर आना एवं अन्य परेशानियां हो सकती हैं। यदि गर्भवती महिलाएं धूम्रपान करती है तो पेट में पल रहे बच्चे का पूरा विकास नहीं हो पाता है। बच्चे का वजन कम हो सकता हैं। गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है। यहां तक कि गर्भपात भी हो सकता है।
डा. निशांत श्रीवास्तव ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पान से कई गुना नुकसानदायक गुटखा है। युवा अपने मित्रों से गुटखा खाना सीखते हैं और धीरे—धीरे उनकी आदत पड़ जाती है। गुटखा के सेवन के कारण कैंसर  तेजी के साथ फैल रहा है। लोग सिगरेट एवं तम्बाकू के पैकटों पर लिखी चेतावनी को भी नज़र अंदाज कर देते हैं। गोष्ठी के बाद उपस्थित चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों को तंबाकू उत्पादों का सेवन न करने की शपथ दिलायी गयी। कार्यक्रम को डा. ज्ञानेन्द्र राय और डा.आर.के.बाजपेई ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन सुषमा ने किया। 

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