डीआईपीएएम ने परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से जुड़ी सलाहकारी सेवाओं के लिए विश्व बैंक के साथ समझौता किया
निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने आज (16 नवंबर 2020) को विश्व बैंक के साथ समझौता किया। समझौते के तहत विश्व बैंक, डीआईपीएएम को परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए सलाहकारी सेवाएं देगा।
डीआईपीएएम, विनिवेश प्रक्रिया के तहत भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के नॉन कोर एसेट (गैर जरूरी परिसंपत्तियों) और शत्रु संपत्तियों की (100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की मूल्य वाली) बिक्री की जिम्मेदारी संभालता है। इसके लिए डीआईपीएएम एक फ्रेमवर्क के आधार पर विनिवेश प्रक्रिया को पूरा करता है। वित्त मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक के सलाहकारी प्रोजेक्ट की स्वीकृत दी गई है जिसका उद्देश्य भारत में मौजूद सार्वजनिक परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करना है। साथ ही उनके लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर दिशा-निर्देश तैयार करना है। जो कि संस्थाओं और विभिन्न बिजनेस मॉडल के लिए मानक के रूप में काम करेंगे जिससे कि संस्थाओं की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी हो सके।
ऐसी संभावना है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों की गैर-जरूरी परिसंपत्तियों के विनिवेश प्रक्रियाओं को शुरू कर उसमें तेजी लाना है जिससे कि परिसंपत्तियों का बेहतर मूल्यांकन हो सके। साथ ही विनिवेश के तहत मिली पूंजी का नए निवेश और विकास के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
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