शिक्षक पर्व पहल के तहत ‘समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर’ विषय पर वेबिनार

 शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व के तहत नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की प्रमुख विशेषताओं को उभारने के लिए यूजीसी के साथ संयुक्त रूप से समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। अध्यापकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे ले जाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।

इसमें दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अनु सिंह लाथेरहरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़बीपीएस महिला विश्वविद्यालय की उपकुलपति प्रो. सुषमा यादवपंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी और अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. सुरेश कुमार ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा समेत विभिन्न उप-विषयों पर अपनी बातें रखीं।

समग्र और बहु-विषयी शिक्षा” विषय पर प्रोआरसी कुहाड़ ने कहा कि मूल्यों की व्यवस्थाजीवन के स्थायी दर्शनबहुलता और बहु-विषयी चीजों के आदर जैसी विशिष्टताएं और समग्र शिक्षा प्रणाली ने ही वास्तव में प्राचीन काल में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने एनईपी 2020 के विभिन्न पहलुओं जैसे एसटीईएम विषयों के साथ मानविकी और कला विषयों के एकीकरणप्रवेश लेने और बाहर निकलने की लचीली व्यवस्थास्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के पुनर्गठनव्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आदि पर विस्तार से बातें रखीं। उन्होंने बताया कि कैसे इन सभी सिफारिशों ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा में नई रुचि जगाई है और भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनने के रास्ते पर ले आई है।

प्रो. सुषमा यादव ने समग्र और बहुविषयी उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान (आधारित) समाज निर्माण विषय पर एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की। 2014 के बाद से सरकार की विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए प्रो. सुषमा यादव ने बताया कि एनईपी-2020 में समग्र और बहु-विषयी सुधार सरकार के नवाचारलचीलेपन और मुक्त पाठ्यक्रम की संस्कृति को विकसित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। इसमें समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को विकसित करने का जो तरीका हैवह शिक्षा को ज्यादा प्रयोगात्मकरोचकएकीकृतजिज्ञासा निर्देशितअन्वेषण उन्मुखीसीखने पर केंद्रितविमर्श आधारितलचीला और आनंददायक बनाता है। प्राचीन काल में बेहतर शिक्षा प्रणाली के गठन में शामिल तत्वों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न कलाओं के ज्ञान और उनके आधुनिक इस्तेमाल की धारणा हमें 21वीं सदी में बढ़त दिलाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा को एक अलग क्षेत्र में स्थापित करेगी।

प्रो. आर. पी. तिवारी ने अपने भाषण में एनईपी 2020 में परिकल्पित समग्र और बहुविषयी शिक्षा की प्राचीन और मध्यकालीन भारत के गुरुकुलों में मिलने वाली शिक्षा से तुलना करते हुए समग्र और बहुविषयी शिक्षा के साथ युवाओं के सशक्तिकरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उस दौर में कैसे गुरुकुलों ने मानवों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी। अपने संबोधन में उन्होंने सभी हितधारकों से एनईपी 2020 को लागू करने में योगदान करने की अपील कीक्योंकि एनईपी 2020 में भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने की क्षमता है।

प्रो. सुरेश कुमार की बातें बहु-विषयी और समग्र दृष्टिकोण के जरिए उच्च शिक्षा में बदलाव" पर केंद्रित रहींजो एनईपी 2020 के प्रस्तावित उद्देश्यों में से एक है। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इस नीति के बारे में एक प्रमुख बात है कि यह एक व्यक्ति के सामने यह सीखने की जरूरत पैदा करती है कि उसे कैसे सीखना है। इसके अलावा उन्होंने 2030 तक सभी जिलों में एक बहु-विषयी संस्थान बनाने की योजना के बारे में विस्तार से बतायाजहां वैश्विक मांगों के अनुरूप मुक्त विषय संयोजनों को चुनने की छूट होगी। उनकी बातों ने अंतरराष्ट्रीयकरण के लक्ष्योंशिक्षकों शिक्षा में सुधार और विनियामक सुधारों पर प्रकाश डाला और इन सुधारों को बहु-विषयी व्यवस्था के जरिए जैसे विभिन्न वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम माना।

प्रो. अनु सिंह लाथेर ने कहा कि यह केवल विषय विशेष के ज्ञान को ही नहींजो मायने रखता हैबल्कि यह भी मायने रखता है कि संवाद को कैसे चलाने की जरूरत है। उन्होंने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को अपनाने के अलावा शिक्षा को ज्यादा व्यापक बनाने और बहु-विषयी संस्कृति को प्राप्त करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।

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