शिक्षक पर्व पहल के तहत प्रभावी प्रशासन और मानक संचालन पर राष्ट्रीय वेबिनार

 शिक्षा मंत्रालय द्वारा 24 सितंबर 2020 को प्रभावी प्रशासन और मानक संचालन पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस सत्र के लिए लक्षित लाभार्थी समूह में प्री-स्कूल और लोअर प्राइमरी शिक्षकस्कूलों के प्रमुखमाता-पिता तथा सभी राज्यों  केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग शामिल थे। शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे बढ़ाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर 2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।

एनआईईपीए के वाइस चासंलर प्रो. एनवीवर्गीजडीटीई एनसीईआरटी के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. केविजयनडीईपीएफई एनसीईआरटी के डीन रिसर्च एंड हेड प्रो केश्रीवास्तव और राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जहांगीराबादभोपाल की प्रधानाध्यापिका डॉ. ऊषा खरे इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे।

प्रो. वर्गीज ने मानक संचालन और प्रमाणन के मौजूदा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने प्रस्तुति के दौरान विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी। प्रो. वर्गीज ने कहा कि कई देशों की प्रवृत्ति महत्वाकांक्षी मानकों को निर्धारित करने और फिर जवाबदेही को मापने के लिए इन मानकों का उपयोग करने की है। यह सुनिश्चित करने के लिए ही मानकों का उपयोग किया जाता है कि शिक्षक और स्कूल जिम्मेदार हैं तथा शिक्षण व अध्ययन की प्रक्रिया व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 ने स्कूलों में सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कियाजबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ने कक्षाओं में सुविधाएं बढ़ाने की मांग रखी। यह 1990 का दशक ही था जबकि सीखने के न्यूनतम स्तर की अवधारणा सबसे आगे  गई। उन्होंने कहा कि दो प्रमुख मुद्दे थे जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता थी। पहलाछात्र वह नहीं सीख रहे हैं जो उन्हें सीखना चाहिए। दूसराविभिन्न विद्यालयों में छात्र जो सीख रहे हैंउसमें व्यापक भिन्नता है। आमतौर परसर्वेक्षण बताते हैं कि ज्यादातर निजी स्कूलकेंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के अलावा सरकारी स्कूलों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। विश्व स्तर परस्कूली शिक्षा में सीखने पर जोर देने के लिए एक बदलाव किया गया है। इससे स्कूलों पर दबाव बना है। माता-पिता अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं। प्रो. वर्गीज ने कहा कि समय के साथ स्कूलों और छात्रों के बेहतर प्रदर्शन के लिए समाज की मांग बढ़ी है।

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