स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय कृमि मुक्त अभियान का 8वां चरण शुरू
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज से अपने राष्ट्रीय कृमि मुक्त अभियान का 8वां चरण शुरू किया। इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी के संक्रमण से होने वाले एसटीएच रोग अर्थात् आंतों में परजीवी कृमि को खत्म करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 14 वर्ष से कम आयु वाले 64 फीसदी आबादी को कृमि संक्रमण का खतरा है। कृमि मुक्त अभियान 2015 में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के 8वें चरण में 30 राज्यों और संघशासित प्रदेशों में एक से 19 आयु वर्ग के 24.44 करोड़ बच्चों और किशोरों को लक्षित किया गया है। यह अभियान महिला और बाल विकास तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से चलाया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूली शिक्षकों ने आज आंगनवाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में बच्चों को कृमि से बचाव की दवाएं दीं। आशा कार्यकर्ता भी सामुदायिक सहयोग से इसमें मदद कर रही हैं। प्रत्येक चरण के साथ अभियान की सफलता बढ़ती जा रही है। फरवरी 2015 में जहां 8.9 करोड़ कृमि की दवा दी गई, वहीं अगस्त 2018 में यह संख्या बढ़कर 22.69 करोड़ हो चुकी है।
कृमि मुक्त अभियान कम लागत वाला एक ऐसा अभियान है, जिसके तहत करोड़ों बच्चों को कृमि से बचाव की सुरक्षित दवा अलबेंडेजौल दी जाती है। इस दवा से बच्चों के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है, जिससे स्कूल में उनकी अनुपस्थिति कम हुई है तथा उनमें पोषक तत्वों को ग्रहण करने और पढ़ाई पर बेहतर ध्यान देने की क्षमता बढ़ी है। अलबेंडेजौल की दवा वैश्विक स्तर पर कृमि निरोधक प्रभावी दवा मानी गई है। कृमि मुक्त दिवस वर्ष में दो बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को सभी राज्यों और संघशासित प्रदेशों में मनाया जाता है। इस अभियान के तहत आम लोगों को खुले में शौच करने से कृमि संक्रमण के खतरों तथा उनमें साफ-सफाई की आदतों के प्रति जागरूक बनाया जाता है।
एनडीडी चरण | संख्या (करोड़ में) |
फरवरी 2015 | 8.9 |
फरवरी 2016 | 17.9 |
अगस्त 2016 | 12 |
फरवरी 2017 | 26 |
अगस्त 2017 | 22.8 |
फरवरी 2018 | 26.7 |
अगस्त 2018 | 22.7 |
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