औद्योगिक उपक्रम पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग (संशोधन) नियम, 2019 की अधिसूचना

जी.एस.आर. (ई). – चूंकि औद्योगिक उपक्रम पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग नियम, 1952 में संशोधन करने के लिए विशेष नियमों का मसौदा प्रकाशित कर दिया गया था, जैसा कि उद्योग (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1951 (1951 का 65) की धारा 30 की उप-धारा (1) के तहत आवश्यक था। इसके लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग) में भारत सरकार की अधिसूचना देखें, जिसकी संख्या जी.एस.आर. 145(ई), दिनांक 20 फरवरी, 2019 है। इसे भारत के राजपत्र असाधारण, भाग II, उप-धारा (i) में प्रकाशित किया गया जिसके तहत इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित किए गए। जिस तिथि को सरकारी राजपत्र की प्रतियां आम जनता को उपलब्ध कराई गईं, जिनमें यह अधिसूचना प्रकाशित की गई है, उससे अगले 30 दिनों की अवधि समाप्त होने से पहले इससे संबंधित आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित किए गए;
और चूंकि, यह राजपत्र अधिसूचना 25 फरवरी, 2019 को आम जनता को उपलब्ध कराई गई थी;
और चूंकि, संबंधित मसौदा नियमों पर केन्द्र सरकार को कोई भी आपत्ति अथवा सुझाव प्राप्त नहीं हुआ है;
अतः अब धारा 30, जिसे उद्योग (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1951 (1951 का 65) की धारा 10 एवं 11, उप-धारा (2), धारा 12 तथा धारा 13 व 14 के साथ पढ़ें, के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केन्द्र सरकार ने औद्योगिक उपक्रम पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग नियम, 1952 में और अधिक संशोधन करने के लिए निम्नलिखित नियम बनाए हैं-
1.  (i) संक्षिप्त नाम और शुभारंभ – इन नियमों को औद्योगिक उपक्रम पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग (संशोधन) नियम, 2019 कहा जा सकता है।
(ii) ये सरकारी राजपत्र में स्वयं के प्रकाशित होने की तिथि से प्रभावी माने जाएंगे।
2.  औद्योगिक उपक्रम पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग नियम, 1952 (अब से इसे प्रमुख नियमों के रूप में उद्धृत किया जाएगा) में ‘उद्योग मंत्रालय (औद्योगिक विकास विभाग)’ अथवा ‘औद्योगिक विकास मंत्रालय’, जहां भी ऐसा लिखा हो, जैसे शब्दों तथा कोष्ठकों के स्थान पर क्रमशः ‘वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग’ लिखे जाएंगे।
3.  प्रमुख नियमों के तहत नियम 10 के अंतर्गत उप-नियम (2) के स्थान पर  निम्नलिखित उप-नियम लिखा जाएगाः
‘(2) केन्द्र सरकार वस्तुतः सरकारी राजपत्र में एक अधिसूचना प्रकाशित कर एक या उससे अधिक समितियां गठित कर सकती है जिनमें आवश्यकता प्रतीत होने पर कितने भी सदस्य हो सकते हैं। ये समितियां केन्द्र सरकार के मंत्रालयों अथवा विभागों का प्रतिनिधित्व करेंगी, जिनका वास्ता निम्नलिखित से होगा-
(ए) उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग
(बी) अधिनियम की प्रथम अनुसूची में निर्दिष्ट उद्योग
(सी) गृह
(डी) वाणिज्य
(ई) कॉरपोरेट कार्य
बशर्ते कि केन्द्र सरकार आवश्यकता प्रतीत होने पर इस तरह की किसी भी समिति में किसी अन्य मंत्रालय अथवा विभाग का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी अन्य सदस्य को भी शामिल कर सकती हो।

4.  प्रमुख नियमों के अंतर्गत नियम 15 में निम्नलिखित का उल्लेख किया गया है-
(i)       उप-नियम (1) में ‘3 माह’ के स्थान पर ‘पांच माह’ लिखा जाएगा।
(ii)      उप-नियम (2) में ‘तीन माह’ के स्थान पर ‘पांच माह’ लिखा जाएगा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, नई दिल्ली, 20 सितंबर, 2019

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