केंद्र सरकार के सभी विभागों/मंत्रालयों में आपदा प्रबंधन से जुड़े नोडल अधिकारियों के लिए कार्यशाला
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर गृह मंत्रालय (एमएचए) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में आपदा प्रबंधन से जुड़े नोडल अधिकारियों के संवेदीकरण के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में लगभग 120 वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इनमें केंद्र सरकार के मंत्रालयों /विभागों, आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों, तकनीकी संस्थाओं और एनडीएमए सहित प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के प्रतिनिधि शामिल थे।
इस कार्यशाला का उद्देश्य आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए आपदा प्रबंधन फ्रेमवर्क; सेंदाई फ्रेमवर्क, सतत विकास लक्ष्यों और पेरिस समझौते के बीच सामंजस्य; आपदा जोखिम में कमी पर वैश्विक परिप्रेक्ष्य और मंत्रालय/विभागों की आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी के बारे में नोडल अधिकारियों को संवेदनशील बनाना था। इन योजनाओं में आपदा प्रबंधन के प्रभावी प्रबंधन के लिए शमन, तैयारी, क्षमता निर्माण और प्रतिक्रिया के उपाय शामिल थे।
लचीली अवसंरचना प्रणालियों को बढ़ावा देने संबंधी पहल का समर्थन करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे भारत द्वारा आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) के रूप में आगे बढ़ाया गया है, जिसे हाल ही में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री द्वारा जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था। विकास के सभी पहलुओं में आपदा लचीलेपन को एकीकृत करना, ‘सभी के लिए सुगम जीवन’ की दृष्टि और 2024 तक 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
वर्ष 2015 के बाद के विकास के एजेंडे में, भारत ने अनेक तरह की पहल की हैं और वह आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है। विकास और आपदाओं को एक-दूसरे पृथक नहीं किया जा सकता और मुख्य चिंता इस बात की है कि आपदा का इंतजार किए बगैर सभी भौतिक, सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय अवसंरचनाओं को आपदा का सामना करने लायक बनाया जाए। कार्यशाला में मौजूद मंत्रालयों / विभागों के सभी नोडल अधिकारियों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) के अनुरूप अपनी आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने और समय-समय पर अद्यतन करने और साथ ही इस आपदा प्रबंधन योजना को व्यवहारिक स्तर पर लागू करने के लिए उपयुक्त उपायों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
सरकार के निरंतर प्रयासों से, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की देश की तैयारियों और प्रतिक्रिया के स्वरूप में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। इन सभी आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपट पाना अच्छी तरह से समन्वित प्रयासों, नीतिगत पहलों, पूर्व चेतावनी क्षमताओं की वृद्धि, अग्रिम तैयारी, प्रशिक्षण, क्षमता विकास और केंद्र सरकार के मंत्रालयों / विभागों के अधिकारियों के राज्य सरकारों में अपने समकक्षों के साथ बीच अच्छे तालमेल का ही प्रत्यक्ष परिणाम है। हमारे देश में आपदा जोखिम न्यूनीकरण तंत्र में और सुधार के लिए इन प्रयासों को निरंतर जारी रखने की आवश्यकता है। विभिन्न शैक्षणिक और व्यावसायिक निकायों के सहयोग से अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों की भी आवश्यकता है।
एनडीएमए, एनआईडीएम के सदस्यों और पेशेवरों तथा चिकित्सकों द्वारा आपदा जोखिम और लचीलापन, उपकरण और रणनीतियों के विभिन्न आयामों पर प्रस्तुतियां और चर्चा, की गई, जिनका उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के नोडल अधिकारियों को अपनी आपदा प्रबंधन योजनाओं को विकसित और लागू करने की प्रक्रिया को समझने में सक्षम बनाना था। जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित लचीलापन, आवास और संरचनात्मक सुरक्षा, मानवीय कारणों से होने वाली आपदाएं, शासन और वित्तीय साधन, भागीदारी दृष्टिकोण और सरकार की योजनाओं और आपदा प्रबंधन योजनाओं के एकीकरण मुद्दों पर चर्चा की गई।
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